सिवाना डायरीज - 13

 सिवाना_डायरीज  - 13


'कई परिवारों का इतिहास गवाह है कि औलाद की मार ने कई बड़े फौलादों को भी जमीन की धूल चटवा दी।'

-पंडित विजयशंकर मेहता जी

'हमें सबसे ज्यादा काम करने की जिन पर जरूरत है, वो है हमारे बच्चे। ये कोठी, बंगले, गाड़ियाँ और जमींदारा दुनिया को दिखाने के लिए ठीक है। बाकि मन जो देखना चाहता है हमारा वो है हमारी सभ्य संतानें।'

-आईपीएस प्रेमसुख डेलू जी

पहले भी लिखा है मैंने एक कि,

'अगर आपके पिता आपसे खुश नहीं हैं, तो आप कैसे सोच सकते हैं कि वो परमपिता आपसे खुश होंगे।'

-आईएएस जितेंद्र कुमार सोनी जी


-इतने सच्चे और अच्छे क्वोट्स टाईप करने से पहले बार-बार सोच रहा हूँ कि क्या लायक हूँ मैं इतनी ढंग की बातें कर लेने के! आपके जीवन की चिंता करके पापा को अगर रात-भर अगर नींद न आये, तो समझ लेना चाहिए कि कुछ तो है जो आपको ठीक करने की जरूरत है। आप रो लीजिए उनके सामने, उनका सारा गुस्सा काफूर हो जायेगा। या तो वे साथ रो लेंगे या गले लगाकर खुद के रोने को दबाये आपको चुप करेंगे। पिता ठेठ देहाती हो या साॅ-काल्ड प्रगतिशील किस्म के। दिल सबका पापा वाला ही होता है। अट्ठाइस-तीस की उम्र के बेटों से ये कहकर गेहूँ का पूरा कट्टा खुद उठा लेना कि तुम अकेले नहीं उठा पाओगे, एक पिता ही कर सकते हैं। सच में ना, एक पिता जमीन पर भगवान की केवल हमारे लिए काॅपी की गई जेरॉक्स है।

उपदेश जैसे बोले जा रहा हूँ, जबकि मैं खुद को इस तराजू में असफलता की तरफ झुका हुआ ही देखता हूँ हमेशा। सच है कि अपने बच्चों को प्यार करने के हर पिता के पैरामीटर्स एक जैसे होते हैं, मगर समाज नाम की एक संस्था स्पेसिफिक अपनी तरफ से कुछ और भी जोड़ देती है इनमें। और फिर जब दिल दुखाने का कारण वो हो जाये, तो बड़े असमंजस में पड़ जाता हूँ मैं।


बहरहाल अच्छा दिन। दिन के बीच में एक मोमेंट आया था जब इसे वोर्स्ट कह देने का मन किया मगर वो है ना अंत भला तो सब भला। अपने लोगों में मैं भैया से ये उम्मीद हमेशा करता है कि कम से कम वह तो मुझे समझे। और वो होता भी है अक्सर जैसा मैं चाहता हूँ, मगर कभी-कभी उसके पैरामीटर्स भी अलग हो जाते हैं सोचने के। खैर गलत कोई भी नहीं है। सबके सोचने के अपने-अपने तरीके हैं। ऑफिशियली चार-सीटर अपनी वेगन-आर में बैठकर हम ग्यारह लोग दिन में नौगावां सांवरिया जी के और बीड़े वाली माताजी के जा आये। फिर दिन-भर लगा घर के सब लोगों को मेरे सिवाने के घर के सामान की पैकिंग में। भैया आई-स्मार्ट के टायर चेंज करवा आया। कुछ लोगों से बात कर लेने के बाद अच्छा लगने लगता है। कारोई वाले शिव जी भाईसाहब से लम्बी बात करके मुस्कुराहट लिये हूँ चेहरे पर। शाम को पियूष, गौरू, भैया और पापाजी आये बस में सामान रखवाने। मनोहरा का मैसेज आया हुआ रखा था कि क्या स्टेटस है! स्लीपर में चढ़ने के बाद रिप्लाई दे पाया। थोड़ी देर व्हाट्सएप पर ही बात कर लेने के बाद नींद डाॅर-बेल बजा रही है। चलो अभी सो जाते हैं। सुबह मिलते हैं बाड़मेर के कश्मीर सिवाना में...

शुभ रात्रि...


- सुकुमार 

28/08/2022

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