सिवाना डायरीज - 4
सिवाना_डायरीज - 4
'नेहरूवियन थाॅट प्रोसेस गांधीज्म के आलोक में छिप गई या यूँ कहें स्वयं नेहरू ने खुद को गांधीजी की महान छवि के पीछे छिपा दिया था। तभी तो गांधीजी ने प्रधानमंत्री के पद के लिए नेहरू को चुनते हुए कहा था कि आगे से कांग्रेस और भारत सरकार के लिए नेहरू के लिये सारे निर्णय ही गांधीजी के निर्णय होंगे।' - पुरुषोत्तम अग्रवाल जी की पुस्तक 'कौन भारत माता?' पढ़ना शुरू की है। मेरे लिए यह एकदम से नई सी बात है क्योंकि नेहरू जी के लिए मैं भी उसी व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से ही सब पढ़ता आया हूँ, जिसका उल्लेख अग्रवाल जी ने किताब में किया है। हालांकि पचास-साठ पेज पढ़े हैं अभी, और अग्रवाल जी को बायस्ड और नाॅन-बायस्ड कह देना अभी जल्दबाजी होगी मगर किताब में मेंशंड उनको कांग्रेस के कार्यकर्त्ता प्रशिक्षण शिविर में मुख्य वक्ता के तौर पर खड़ा देखकर एक बार मुझे यूँ लगा जैसे मैं किसी पार्टी के बुद्धिजीवी नेता की ही किताब पढ़ रहा हूँ। खैर पढ़ने में मजा आ रहा है इतिहासकार के रूप में अग्रवाल जी की दृष्टि से। बाकि देखते हैं अग्रवाल जी आगे क्या-क्या गुल खिलाते हैं नेहरूवियन थाॅट प्रोसेस के।
बहरहाल घर ढूंढ़ना अपने आप में टास्क सा हो गया है हमारे लिए सिवाना में। ज्यादा इस विषय में नहीं लिखूंगा क्योंकि ये अपने आप में एक आलेख बनेगा एक दिन मेरी ही कलम से। कलिग सुरेश सर का जितना समय और उनकी गाड़ी का जितना पेट्रोल केवल मेरे लिए घर ढूंढ़ने में फूंका जा चुका है, सोचकर ही हिम्मत टूट रही है मेरी। बहरहाल नई ई-मेल आईडी और पासवर्ड आ गये हैं हमारे। जन्माष्टमी की छुट्टी है स्कूल्स में तो फील्ड आज कुछ न हो सका। ऑफिस में ही स्वाध्याय जैसा रहा बस। साबूदाने की खिचड़ी शाम को होटल कीर्ति के किचन में अपन नें ही बनवाई, जिसे खाकर मजा आ गया।
मन आज कुछ ठीक सा है। हो भी क्यों ना! कृष्ण आज तो रमे ही हैं भीतर। बचपन की एक अच्छी सी दोस्त ने व्हाट्सएप पर जिंदगी के कुछ प्रेक्टिकल वर्च्युज बताये कि दुनिया आखिर है कैसी। यहाँ घर नहीं मिल पाना आज का एकमात्र मानसिक तनाव है मेरे लिए। देखते हैं कैसे और कब साॅल्व होता है। मनोहरा के साथ व्रत किया है तो रात वाली पूजा भी वर्च्युअली उसी के साथ करने का प्लान है। वो खाने और प्रसाद की तैयारी कर पूजा की तैयारी में 12 बजायेंगी और मुझे झोंके आने लग गये हैं अभी ही। देखता हूँ जग पाऊंगा कान्हाजी के जन्म तक या नींद ले लेगी अपनी बाहों में। भजन चला रखा है वैसे - जरी की पगड़ी बांधे/सुंदर आँखों वाला/कितना सुंदर लेगे बिहारी/कितना लागे प्यारा...
जय श्री कृष्ण...
-सुकुमार
19/08/2022
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