सिवाना डायरीज - 5
सिवाना_डायरीज - 5
'The future belongs to you, but it can only belongs to you if you participate and take charge.' - काॅफी अन्नान जी ने अक्खी जिंदगी समझा दी है इस क्वोट से। सच में जिंदगी को भी जीने का मुआफिक तरीका यही है कि बाहर से खड़े होकर देखने पर इसके हर एक एपिसोड के बाद अगले का हम वैसे ही इंतज़ार करें जैसे अभी हम वेबसीरीज पंचायत के तीसरे सीजन का कर रहे हैं। जब चार्ज लेेते हैं हम अपने हाथों में जिंदगी की गाड़ी का, तब डेस्टिनेशन भी हम डिसाइड करते हैं, रूट भी, ट्रेक भी, स्पीड भी और यह भी कि स्टाॅपेज कहाँ-कहाँ होंगे इसके। लाईफ बिलांग्स करती है हमें जब हम यह मान लें कि इसमें हुये सारे-कुछ के जिम्मेदार हम हैं। मैं जुगत में हूँ यही सब सीखने की कि कैसे लिया जाता है अपने हाथ में इसका हैंडल।
बहरहाल फाईव-डे वीक वाली नौकरी की पहली ऑफ वाला दिन। साढ़े नौ बजे सुरेश जी को काॅल किया कि कुछ काम हो ऑफिस का तो चलते हैं। वो सोलंकियों का वास की सरकारी स्कूल में ले गये। स्कूल्स में शनिवार को नो-बैग डे होता है, जानकर खुशी हुई। बच्चों को बोरी-दौड़, राजधानी बताओ जैसे खेल खिलाये जा रहे थे। कुरियर से कुछ मैग्जीन्स हमारी उसी एड्रेस पर आती है, तो वो लेकर हम फिर से घर-खोजो अभियान में जुट गए। दोनों ने तय कर लिया था कि आज फाइनल करना ही है घर। मोकलसर स्कूल के एक लेक्चरर जगदीश जी के बताने से आखिर खोज पूरी हो गई है आज। घर फाइनल कर लिया है। एक कमरा, एक हाॅल जो किचन के लिए भी काम आयेगा और सेपरेट लेट-बाथ। खुशी यूँ हैं जैसे गढ़ जीत लिया हो। कल सुबह होटल से चैक-आउट कर शिफ्ट करना है। इनिशियली खाना बाहर खाना पड़ेगा जब तक कि घर से रसोई का सामान न आ जाये। बाकी रांका जी के घर में कितना मन लगेगा, ये समय पर छोड़ता हूँ।
मन ठीक है। कुछ रिजोल्यूशन्स ये हमेशा लेता रहता है जब भी कुछ नया हो रहा हो लाईफ में। मसलन अब से स्टडी पर ध्यान देना है, बाॅडी को परफेक्ट रखने के लिए खान-पान का ध्यान रखना है, मन ठीक रहे इसके लिए मोबाइल का सीमित उपयोग और भी खूब सारे। गुड़िया का बर्थ-डे है आज। मन की बात कही उसे। मेरी उम्मीद से भी अच्छा रेस्पांस भी मिला। मनोहरा कह रही थी कि फेसबुकिया प्यार की भी कहानी तो ढंग से गढ़नी पड़ती है, तब जाकर उस पर आगे बढ़ा जा सकता है। अपनी चादर को इतनी बड़ी कर लेना तो जरूरी है ही कि छोटी-मोटी कमियों को ढका जा सके। कल कान्हा जी के जन्म से पहले ही सो गया था। सुबह रिग्रेट फील हो रहा था। बाकी सब-कुछ ठीक ही चल रहा है। अब आगे जाना है, चाहे खींच कर ले जाना पड़े खुद को। अभी सो जाते हैं, ताकि सुबह जाग सकें। भजन बज रहा है - ये तो प्रेम की बात है ऊधो/बंदगी तेरे बस की नहीं है/यहाँ सर देके होते हैं सौदे/आशिकी इतनी सस्ती नहीं है...
जय श्री कृष्ण...
-सुकुमार
20/08/2022
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