सिवाना डायरीज - 20
सिवाना_डायरीज - 20
"मेरा विषय-सुख एक स्त्री पर ही निर्भर था और मैं उस सुख का प्रतिघोष चाहता था। जहाँ प्रेम एक पक्ष की ओर से भी होता है, वहाँ सर्वांग में दुख तो नहीं ही होता। मेरा ख़याल है कि इस आसक्ति के साथ ही मुझमें कर्तव्य-परायणता न होती, तो मैं व्याधिग्रस्त होकर मौत के मुँह में चला जाता, अथवा इस संसार में बोझरूप बनकर जिंदा रहता। 'सवेरा होते ही नित्यकर्म में लग जाना चाहिए, किसी को धोखा तो दिया ही नहीं जा सकता' - अपने इन विचारों के कारण मैं बहुत संकटों से बचा हूँ।"
-क्या गजब का साहस था ना बापू में! जैसा जीया, हूबहू लिख दिया। अपनी कमियों और गलतियों को जो काटते-छाँटते, तो भगवान बना देते लोग उन्हें। हड्डियों के ढांचे जैसा शरीर लिये उन कृशकाय महात्मा जितनी अभिव्यक्ति जुटाने का साहस जुटा पाना सचमुच असम्भव की श्रेणी में रखा जा सकता है। खैर, गांधी जी की 'सत्य के साथ मेरे प्रयोग' स्टार्ट की है। लगभग पचास पेज ही पढ़ पाया हूँ अभी तो। एक दूसरी डायरी में कुछ बिंदू भी मार्क किये हैं, जिन पर बहुत कुछ लिखा-सोचा जा सकता है।
वैसे राधाष्टमी और दधीचि जयंती का दिन मेरा बापू के इर्द-गिर्द रहा। बापू ने अधिकार कर लिया हो जैसे मेरे मन-मस्तिष्क पर। संयोग से और भी दो-तीन चीजें उनके तरफ ही खींच ले गई। किताब थोड़ी पढ़ चुकने के बाद ऑनलाइन अखबार पढ़ने की ठानी तो रसरंग वाले फ्रंट पेज पर पद्मश्री से सम्मानित लेखक-विचारक गुणवंत शाह जी का आर्टिकल पढ़ा। अमेरिका के अटलांटा शहर में गांधीभक्त मार्टिन लूथर किंग की समाधि है। अपने राम नाम के मर्मज्ञ मोरारी बापू तथा गणवंत शाह जी की वहाँ की यात्रा का वर्णन है। मार्टिन लूथर किंग ने एक बार कहा था - "मैं किसी और देश में जाता हूँ, तो प्रवासी होता हूँ। मगर जब मैं भारत आता हूँ, तब मैं एक तीर्थयात्री होता हूँ। मेरे लिए भारत यानि महात्मा गांधी।" आज भी उनकी समाधि पर 'गांधी चैम्बर' नाम से एक जगह है। ऑनलाइन दैनिक भास्कर में ही एक खबर और भी पढ़ी। हमारे भीलवाड़ा के जिला कलेक्टर आशीष मोदी जी शिक्षक दिवस पर बच्चों के साथ बातचीत के दौरान कह रहे थे - "महात्मा गांधी की एक किताब है - माई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्र्यूथ। इस किताब ने मेरा जीवन बदला है। इस किताब को पढ़ने से पता चलता है कि सत्याग्रह क्या है। सत्य के लिए आग्रह किया जाना, उसे समझ पाना कितना जरूरी है। इसे अभी समझ लेंगे तो अपने फोकस की तरफ जल्दी बढ़ेंगे।"
कुल मिलाकर दिन अपना गांधीमय ही हो गया आज का। संयोग से भी सारा कुछ उनके इर्द-गिर्द ही रहा।
बहरहाल जिस दिन पढ़ लिया जाता है थोड़ा-बहुत। वो दिन खूबसूरत ही लगने लगता है। दिन-भर किताबों के आस-पास ही रहने के बाद पाँच बजे उठकर दूध ले आया आज उफानने के लिए। पढ़े-लिखे और ज्ञानी लोग इसे चाहे जो कहें, मगर हमारे यहाँ नया चूल्हा जब जलाया जाता है तो सब शुभ-शुभ चाहने के अर्थ में पहली बार थोड़े से दूध को उफनने दिया जाता है। तो सिवाना वाले अपने घर में रस से भरी रसोई का लोकार्पण था आज। यहाँ 'लोक' में फिलहाल अकेला ही हूँ मैं। खीर और खिचड़ी बना हमारी सरकार श्री राधारानी जी को भोग लगाया। सुना है भगवान को केवल मीठा चढ़ाते हैं, नमकीन नहीं। मगर मेरे भगवान मेरे मित्र जैसे हैं। मैं जो भी खाता हूँ, वो मना नहीं करते। तो खिचड़ी भी अर्पित कर दी अपन ने तो।
राधाष्टमी है तो मन थोड़ा एडवांस में भी खुश है। माधव की आल्हादिनी शक्ति मेरे लिए भी पावर-बूस्टर है। वृषभानू-दुलारी की केशव के साथ प्रसंगों से भरी दो-तीन कथाएं भी सुनी यू-ट्यूब पर।
शासन-प्रशासन की खबरें ये हैं कि कांग्रेस की महंगाई के खिलाफ हल्ला-बोल रैली, हल्ला-बोल रैली कम और राहुल गांधी के अध्यक्ष पद पर पुनर्संस्थापन की कोशिश ज्यादा लग रही है। प्रकाश जावड़ेकर जी आज हमारे भीलवाड़ा में हैं। आरटीडीसी होटलों का प्राइवेटाइजेशन कर रही है तो राजेंद्र राठौड़ जी विधानसभा में बात उठाने की कह रहे हैं और नीतिशे कुमार सारे विपक्ष को एक करके भाजपा को कुल जमा पचास से नीचे सीटों पर लाने की ताल ठोक रहे हैं।
मन बीच में रहा। जगतवंद्या के जन्मदिन का हर्ष और मनोहरा के साथ कम्यूनिकेशन-गेप की पीड़ा। बैलेंस था शायद मन का भी। कल-परसों में शायद नानाजी आयेंगे इधर। माँ भी कोई दस किलोमीटर दूर है भगवान जी से। सुबह पहुँचेंगी। गोमती चौराहे पर वैसे खुशबू तो आने ही लगती है प्रभु चारभुजानाथ की। अब सब हाल एक लाईन में इतना कि - वंशी सब सुर त्यागे है/एक ही धुन में बाजे है/हाल न पूछो मोहन का/सब-कुछ राधे-राधे है...
जय वृषभानू-दुलारी...
शुभ रात्रि...
-सुकुमार
04-09-2022
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