सिवाना डायरीज - 33
सिवाना_डायरीज - 33
'राजनीति में कुछ सच नहीं होता, यही इसका सच है।'
-फिल्म ताशकंत-फाइल्स का ये डायलाग मुझे हमेशा सच्चाई दिखाता रहता है। देखो ना, गरीब घर के बेटे मोदीजी अपने जन्मदिन पर चीते छोड़ रहे हैं, और सोने की चम्मच मुँह में लेकर पैदा होने वाले राहुल बाबा पैदल ही है, तिरंगा लहराकर वोट बटोरने वाले केजू भैया गुजरात में कह रहे हैं कि गुजरात माॅडल कुछ नहीं है, जो कुछ है दिल्ली माॅडल है। 'बिहार में बहार है, नीतिशे कुमार है' - नारे वाले नीतिश कुमार जी बिहार को समृद्ध करके अब भारत को समृद्ध करने चले हैं। तेलंगाना राष्ट्र बोलने वाले जी, सी. एस. राव जी अभी भारत राष्ट्र के प्रमुख बनने के सपने देख रहे हैं। ममता दीदी, शरद भाऊ, अखिलेश भैया और केजरीवाल जी भी - सब अपनी-अपनी संभावनाओं की तलाश में हैं पीएम हो जाने की। अपने राजस्थान की बात करें तो कांग्रेस की मीटिंग्स में जैसे कोई न कोई बोल ही देता है - 'सचिन पायलट जिंदाबाद।' वैसे ही खुद को पार्टी विद डिफरेंस कहने वाली भाजपा की बैठकों में भी 'केसरिया में हरा-हरा, वसुंधरा-वसुंधरा' की दबी-दबी सी आवाज आती रहती है। कुछ ख्वाब बीजेपी वाले उदयपुर में पल रहे हैं तो कुछ जोधपुर में। प्रदेश मुखिया तो हमेशा देखेगा ख्वाब और पुराने महामंत्री जी, वो क्यों न पालें! राजनीति से इत्तर सच ये है कि 'राज' में अब 'नीति' बची ही कहाँ है।
बहरहाल, तीसरा और अंतिम दिन पहले चरण की कार्यशाला का। सुबह से ही उत्साहित था मैं। अंग्रेजी शब्दों - सेल्फ-एस्टीम, सेल्फ-नाॅइंग, सेल्फ-रेस्पेक्ट और सेल्फ-रियलाइजेशन के माध्यम से बाॅडी-इमेज और आत्म-सम्मान कौशल कार्यशाला प्रारंभ की हमने आज। बच्चों विशेष रूप से किशोर-किशोरियों में शारीरिक रूप से खुद के ठीक होने का भाव भरना ही हमारा मुख्य उद्देश्य था। आदर्श प्रतिरूप वर्ण, आकार और रूप देखकर नहीं वरन व्यक्ति के गुण देखकर स्थापित होने चाहिए। लंच में सरकारी दाल, सब्जी और घी से चुपड़ी रोटी खा लेने के बाद समापन सत्र हुआ। जो महसूस हुआ है, वो इतना है कि वर्कशाॅप्स में खूब थकान आ जाती है। घर आकर बस सोना सूझता है।
मन ठीक है। कहीं-कहीं दिखता है कम्यूनिकेशन-गेप अपनों से बातचीत में। मुझमें ही कमी है। कई काॅल अटेंड नहीं कर पा रहा और कई बार खुद से भी बात नहीं हो पा रही है। कुछ लोग मिले हैं जो अपने से लगते हैं और कुछ अपने होकर भी पराया महसूस करवा रहे है। मैं बस इतना जानता हूँ कि मुझे पाॅजिटिव रहना है। बहुत पाॅजिटिव। खूब खोकर मिला है, ये जो भी मिला है। अब इसे दूर नहीं करना चाहता। नींद अभी जल्दी आ जाये कोई नहीं, सुबह जल्दी निकालना चाहता हूँ इसे अब अपनी आँखों से। बाकी सब ठीक है। चलो सो ही जाते हैं...
गुड नाईट...
- सुकुमार
17-09-2022
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