सिवाना डायरीज - 43

 सिवाना_डायरीज - 43


"जो लोग कहते हैं कि ये नहीं किया जा सकता, उन्हें उन लोगों को नहीं टोकना चाहिए जो ये कर रहे हैं।"

-जार्ज बर्नार्ड शाॅ साहब का प्रेक्टिकल माॅटिवेशनल क्वोट है ये। एकदम खरा-खरा। हम सब जाने-अनजाने, चाहे-अनचाहे कभी समझदारी के नाम पर तो कभी खुद को माॅर-इंटलिजेंट प्रूव करने की कोशिश में किसी न किसी को रोक रहे होते हैं कुछ बड़ा करने से। "ये काम तो हो ही नहीं सकता। पंद्रह सालों का अनुभव है हमें। खूब कोशिशें की हमनें। मगर नहीं हो पाया। सच तो यह है कि इम्पोसिबल ही है ये" - कहकर किसी नये जोश की धधकती आग पर पानी छिड़क दिया जाता है अपने सीनियर होने का हवाला देकर। "हम सफल नहीं हो पाये थे इसमें। मगर हो सकता है तुम कुछ नये ढंग से करो इसे। वैसे भी कोशिश करने में क्या जाता है" - कहकर साहस बढ़ाने में जाता क्या है अपना! एक ऐसा इंसान जिसे देखकर, जिसे सोचकर हर कोई माॅटिवेट हो जाये, हर कोई मुस्कुरा उठे - क्यों नहीं बन सकते हम। मैं तो इसी व्यक्तित्व निर्माण की इसी प्रक्रिया में लगा हूँ।


खैर, नवरात्रि का दूसरा दिन। अनीस जी की विजिट की तैयारियों में बिता पूरा दिन। स्कूल्स बंद हैं, तो ऑफिस में ही रहे दिन-भर तीनों। सुरेश जी स्कूल-टीचर्स की उपस्थिति पर केंद्रित रहे, हरीश जी सेशन-ऑपरेशन की प्रिपेरेशन में और मैं दोनों में थोड़ा-थोड़ा। कुछ पोस्टर्स प्रिपेयर किये और चिपका दिये हैं दीवारों पर हरीश जी और मैंने। पास वाली मेला मैदान स्कूल के एचएम आये थे दोपहर में। ढेर सारी बातें हुई उनसे भी। लंच के बाद भी यही सब। शाम को सात बजे बाड़मेर के लिए निकले तीनों राजस्थान रोडवेज बस में जो अभी लगभग ग्यारह बजे होटल कलिंगा में बिस्तर पर पड़े-पड़े लिख रहा हूँ मैं ये सब। दिन-भर आज तक लाईव चला-चला कर देखता रहा कि हमारे जादूगर अब और क्या-क्या खेल दिखा रहे हैं राष्ट्रीय और सूबे की राजनीति में।


मन ठीक रहा दिन-भर। सब तरफ से अपेक्षित प्यार मिल रहा है। सच बोलूँ तो याद आने लगी है घर की। काफी समय हो गया है यार। लगभग डेढ़ महीना। पुर की गलियाँ आवाज देती लग रही है। नवरात्रि में गरबा तो बंद हो गये अब लगभग लेकिन मंदिरों में दर्शन के लिए जाना बहुत ज्यादा मिस कर रहा हूँ। पथवारी के बालाजी की याद आने लगी है कि केवल एक बार जाऊँ और अकेले में बैठकर बातें करूँ उनसे। गुरुवार रात निकलने का है, मगर कितना सम्भव हो पाता है, देखता हूँ। अभी तो नींद आई है। चलो सो ही जाते हैं...शुभ रात्रि...


- सुकुमार 

27-09-2022

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