सिवाना डायरीज - 50

 सिवाना_डायरीज  - 50


या देवी सर्वभूतेषू

लक्ष्मी/शक्ति/बुद्धि-रूपेण संस्थिताः...

-मूल मंत्र तो 'शक्ति' वाला है, मगर मैं अपनी सुविधानुसार काम में ले लेता हूँ जब भी जगदम्बा का स्मरण करता हूँ। और अकेला मैं क्या हम सब, यही तो करते हैं। मंत्रों के अगर भावार्थ समझ आने लग जायें, तो हमारी प्राथमिकताओं में सबसे पहले लक्ष्मी, फिर शक्ति और अंत में बुद्धि आ ही जायेगी आज के जगत को देखते हुए। जेंडर-स्टीरियोटाईप या यूँ कहें जेंडर-डिस्क्रीमिनेशन काॅन्सेप्ट्स में एक फनी मोमेंट एड करता हूँ। मुझे इस बात की हमेशा शिकायत रही है कि सारे के सारे व्रतों के उद्यापनों में कुँवारी कन्याओं के ही भोजन का प्रावधान क्यों है! एक अकेली संतोषी माता को छोड़ दें तो एक भी भगवान या माताजी ऐसी नहीं है जो छोरों को भी जिमाये। खैर अपन ने तो खूब कटोरियाँ ख़त्म की है खीर की संतोषी माता के नाम पर और अभी भी कर ही रहे है। मगर मेरी शिकायत भी जायज तो है ही। 


बहरहाल, सिवाना का अपना 50वाँ दिन और वो भी दुर्गा नवमी, मने मातारानी का दिन। अच्छा जाना ही था। नवरात्रि पूरी मिक्स-वेज जैसी रही सिवाना और भीलवाड़ा के बीच। ऑफिस में ही रहे दिन-भर। कुछ अंग्रेजी कविताओं की प्रिंच-रीच्स तैयार की और कुछ लिखा-पढ़ा भी। अपनी मनोहरा ने भी छोटी बच्चियों को जिमाया सूजी का हलवा और पुड़ी। बता रही थी - "सुबह से पूजा-वूजा सब कर ली है और माता से मांग लिया है तुम्हें। अगली नवरात्रि का उद्यापन साथ में करेंगे।" सुनता हूँ ये सब तो लड्डू फुटने लगते हैं मन में। बाकी देश-दुनिया ठीक ही चल रही है। अशोक गहलोत जी फिर से सीएम माॅड में आ गए हैं। गुरू अशोक राही जी का मैसेज देखा अभी। कल जवाहर कला केंद्र भी गये थे गहलोत जी मुख्य सचिव उषा शर्मा जी के साथ। अशोक सर की रामायण मंडली का अभिनय देखा भी और सराहा भी। मैं जयपुर में होता, तो शायद मैं भी पार्ट बनता इसका। वैसे अंगद की भूमिका का अभ्यास किया था एक दिन मैंने अशोक सर के निर्देशन में वहीं जेकेके ही। उधर कश्मीर में अपनी टीना डाबी जी के पहले वाले शौहर अत्ताह आमिर जी डाॅ. मेहरून काजी के शौहर हो गये हैं अब। बाकी राहुल भैया का साथ देने के लिए सोनिया जी और प्रियंका जी पहुँच गई है पदयात्रा में। मोटा भाई जम्मू-कश्मीर दौरे पर है और देखते हैं वे अब क्या गुल खिलाते हैं।


मन ठीक है। कैनवास रंगीन सा है आजकल। दिल और दिमाग की थोड़ी-बहुत कशमकश के बीच छिपी खुशियाँ जी रहा हूँ अभी। कल विजयादशमी है। कुछ कलुष मन के भी कम करने है। सोच रहा हूँ केवल बातों में नहीं, व्यवहार में झलके ये कम होता कलुषपना। बाकी जय-जय। अभी सो जाते हैं। कल रावण जलायेंगे...

शुभ रात्रि...


- सुकुमार 

04-10-2022

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