सिवाना डायरीज - 53

 सिवाना_डायरीज  - 53


आखिर जाना कहाँ है मुझे? करना क्या चाहता हूँ? एक पतली सी धार छूट ही जाती है हर बार सच और झूठ के बीच, जब लिखने बैठता हूँ। पूरा-पूरा सच लिख दूँ तो शायद खुद से ही नफरत हो जाये। पूरा झूठ लिख दूँ तो लिखने के साथ न्याय न होगा। परत-दर-परत उखाड़ते हुए भी सलीका ध्यान रखना होता है। सलीका, क्योंकि जरूरत पड़ने पर वापस काम आ सके परत चढ़ाने के। सिवाना चौराहे पर गाँधी जी की मूर्ति पर मालाएँ नई-नई है। दो अक्टूबर को गये अभी दिन भी तो पाँच-छः ही हुये हैं। सोचता हूँ हम सबके द्वारा चढ़ाई ये मालाएँ गाँधी जी के साथ-साथ उनके विचारों पर भी है। खुद के असेसमेंट के लिखने में अचानक बापू की बात इसलिए ले आया क्योंकि और जो भी हो, बापू जितना सच लिखने का साहस कहाँ किसमें होता है! 'माई एक्सपीरियंस विद ट्रूथ' जितनी पढ़ पाया, उसने मुझे शक्ति तो दी है। हम सब भले कितना ही कमजोर बता दें बापू को, उनको पढ़ना हमें साहस जरूर देगा। वापस खुद पर आता हूँ। सोच रहा हूँ अपनी लिखी कथा, कहानी, किस्सा, कविता और ये डायरी, सब मिलकर सच का कितना ही प्रतिशत भर पाते होंगे!


बहरहाल, बहुत ही ऊबाऊ दिन। तबियत नासाज चल ही रही है। नाक ने अपना एक दरवाजा गत दो दिनों से बंद ही कर रखा है। खाँसी, खराश, छींक और जुकाम सब बारी-बारी से अपने होने का प्रमाण दे रहे हैं। बुखार भी रहा सुबह-सुबह तो। किसी स्कूल जाने की हिम्मत न हुई तो ऑफिस के पास वाली यूपीएस, मेला मैदान ही हो आया। लंच में हरीश भाई का काॅल आया कि उनकी भी आँख दुख रही है तो लंच के बाद न आ पायेंगे वे ऑफिस। लंच के बाद अपन बस थोड़ा-बहुत पढ़ ही पाये। दो दिनों से दुध को काढ़े में बदलकर पीया जा रहा है सुबह-शाम और टेबलेट्स सहारा दिये हैं।


मन ठीक सा नहीं है। वो कहीं पढ़ते रहते है ना अपन सब कि 'एक परवाह ही बताती है कि मोहब्बत कितनी है' को ऑब्जर्व कर रहा हूँ। कई बार बात मुझे अहमियत की लगती है। अपने होने या न होने के मायने ही तो है किसी की भी जिंदगी में, जो अहमियत दिखाते हैं आपकी। बाकी अपनी मनोहरा का भी पक्का साथी है उसका जुकाम। नहीं छोड़ता है साथ कभी। सच कहूँ तो जिंदगी की सबसे खराब दिनचर्या से गुजर रहा हूँ। इतना आलसी और सुस्त पहले कभी न रहा। बीस मिनट क्रिकेट खेला था इसी सप्ताह एक रोज मेला मैदान में ही, जोरदार से दुखने लगे पैर, टूटने लगा शरीर। अजीब है ये सब मेरे लिए। मैं इतना कमजोर पहले कभी न था...

गुड नाईट...


- सुकुमार 

07-10-2022

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