सिवाना डायरीज - 65

 सिवाना_डायरीज  - 65


"हो सकता है कि हीरो किसी और से ज्यादा बहादुर न हो। लेकिन वे सिर्फ पाँच मिनट और अधिक टिके रहते हैं।"

-पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन का कहा ये क्वोट हमारे मन में रोज चलने वाले अन्तर्द्वन्द्वों के लिए ज्यादा ठीक लगता है अपन को। पर्सनली बात करूँ तो मेरे जीवन के कुल संघर्ष का निन्यानवे प्रतिशत मेरे मन का ही है। बाहर बहुत सहज है अपन। और ये सहजता का खोखा अपने भीतर कितनी जटिलताएं भरा है, खुद सोचता हूँ तो चकरा जाता हूँ। यूपीएससी की मेक्जीमम एज अगस्त में बत्तीस साल है हम जनरल वालों के लिए, जो कि खत्म कर चुकी है अपने अटेम्प्ट। मगर आज जब यहीं जयपुर में रिद्धी-सिद्धी सर्कल, गोपालपुरा बाईपास गया वर्कशाॅप के बाद, वहाँ दृष्टि, उत्कर्ष, निर्माण, संकल्प, अभिज्ञान, स्प्रिंगबोर्ड और अनएकेडमी जैसी बड़ी बिल्डिंग्स दिखाई दी, मेरा मन फिर से पीछे चला गया तीन-चार साल। 'नेवर क्विट' वाला सिद्धांत मैं हमेशा से मानता आया हूँ और रीगन सर ने उसी की पारिभाषिक शब्दावली बनाई है शायद। बिना कुछ ज्यादा सोचे, अभी केवल इसी पर चलना तय किया है। देखते हैं कितना चल पाते हैं।


बहरहाल, तीसरा दिन वर्कशाॅप का। शून्य की समझ, स्थानीय मान और विभिन्न गणितीय पद्धतियों पर बात हुई आज। इजिप्टियन मेथड, मायन मेथड, रोमन काउंटिंग, पंचमांक पद्धति और अपनी दशमांक पद्धति पर भी विस्तार रहा आज। पंचमांक पद्धति के प्रतीकों ने बहुत उलझाया दिन-भर। संख्या लिखना, पहचानना, जोड़ना और घटाना सीखा उस पद्धति को भी। वहाँ से निपट शाम को आरएएस के नोट्स लेने के उद्देश्य से रिद्धी-सिद्धी पहुँच गये अपन आज। दिमाग की खूब माथापच्ची के बाद खाली हाथ लौटा होटल में। 


जो मन ठीक नहीं था, पिछले कुछ दिनों से। आज होटल पहुँचते ही सब-कुछ खूब ठीक-सा हो गया। एक बात तो है! अपनी मनोहरा के साथ सम्बंध तय करता है मेरे मन की सारी स्थिति।और क्या कहूँ! अब सब ठीक हो गया है। बाकि तो जय-जय...

गुड नाईट...


- सुकुमार 

19-10-2022

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