सिवाना डायरीज - 71

 सिवाना_डायरीज  - 71


"होहिं सगुन सुभ बिबिधि बिधि बाजहिं गगन निसान। 

पुर नर नारि सनाथ करि भवन चले भगवान॥"

-मने सब जगह सब शगुन शुभ ही हो रहे हैं। आकाश में नगाड़े बज रहे हैं। सारी नगरी अर्थात आयोध्या के लोगों को सनाथ करके मतलब अपने राम से मिलाकर दशानन-निकंदन सब शुभ के दाता भगवान श्री सियाराम अपने भवन की और चल रहे हैं। मर्यादा-पुरुषोत्तम के यूँ अपनी नगरी वापस लौटने पर इस साल सबसे ज्यादा खुश हमारे भीलवाड़ा की नगर-परिषद है। शहर के इतिहास में दीपमालिका पर्व को इससे अच्छा रूप आज तक तो नहीं दिया जा सका था। रोशनी और कार्यक्रमों की ये लड़ियाँ 'BHILWARA KI DIWALI' नाम से रेलवे स्टेशन चौराहे वाले स्टेज पर जगमगा रही है। दीपावली आधिकारिक रूप से कल थी। मगर लोगों की बातें, सोशल मीडिया और न्यूज मीडिया ने कल वाली हमारी भीलवाड़ा की दीवाली को आज भी बचा रखा है मन में। इस दफा दीपावली और गोवर्धन पूजा के दिनों के बीच में एक आइसोलेटेड दिन रहा आज का। ग्रहण रहा आज सूर्य का शाम को लगभग दो-ढ़ाई घंटे। सद्गुरु के इस ग्रहण सम्बंधित एक विडियो से जाना कि सूर्य और चन्द्रमा इस काल में मात्र दो-ढाई घंटों में उतनी कलाएँ कर लेते हैं, जितनी वो पूरे महीने भर में करते हैं। शाम तक घर पर कोई मेहमां नहीं आया। 


बहरहाल, चौथा दिन अपने घर में। ऑफिस की छुट्टी नहीं है, अपने खाते से सीएल ली है। सुबह उठकर नहा-धोकर ऑफिस का कुछ काम किया। जयपुर वाली वर्कशाॅप का रिफ्लेक्शन भेजना था। आज लास्ट डेट थी। भेज  दिया अपने हिसाब से तो। दोपहर में आजाद नगर मौसी के यहाँ जाना हुआ और उसके बाद सुभाष नगर रचना के यहाँ। घर लौटने की जल्दी में थे हम सब क्योंकि साढ़े चार के लगभग ग्रहण शुरू होना था। जोया और कानू को भी लेते आये हम साथ ही और ईशू पहले से ही साथ थी। रात को खाना खाकर मनोहरा से बात करते-करते अभी बस सोने की तैयारी में हैं अपन। अपने साथ ही जोया, ईशू और कानू हैं आज इसी रूम में।


मन औसत रहा दिन-भर, मगर शाम होते-होते ठीक हो गया। अपनी मनोहरा के साथ मन की बात कर लेना हमेशा मुस्कुराहट देता है मुझे। आज भी यही हुआ। जल्दी-जल्दी में 'हेलो, अच्छा सुनो ना! लव यू' से शुरू होने वाली बात कभी खराब हो सकती है क्या! खैर अभी सो जाता हूँ इसी सब को जीते हुए...

गुड नाईट...


- सुकुमार 

25-10-2022

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