सिवाना डायरीज - 73


सिवाना_डायरीज  - 73

"I'll not be a part to the balconization of India. India is one nation and will remain one country."
-भारतीय सत्ता को अंग्रेजों के हाथ से भारतीयों के हाथों में हस्तांतरित करने की प्रक्रिया पर चर्चा को लेकर 1946 में बनाये गये केबिनेट मिशन के तीनों सदस्यों स्टेफाॅर्ड क्रिप्स, पेट्रिक लाॅरेंस और ए.वी.अलेक्जेंडर के सामने अपने सरदार पटेल जी ने जब ये लाईन बोली, तीनों अंग्रेजों, मुहम्मद अली जिन्ना और लियाकत अली खान के अलावा वहाँ उपस्थित हर एक सदस्य ने मेज थपथपाई। मौलाना अबुल कलाम आजाद और खान अब्दुल गफ्फार खान ने जिन्ना को साफ तरीके से ये कहने से रोका कि वो अकेला ही मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता है। नेहरू जी की दूरदर्शिता थी या कुछ और, पर मुझे भी थोड़ी जल्दबाजी में लगे वो सविंधान सभा में शामिल होने में और सरकार बनाने में। मैं जब भी सविंधान बनने संबंधित चीजें पढ़ता, सुनता या देखता हूँ, मुझे दोनों लोग बहुत महत्वाकांक्षी लगते हैं नेहरू जी और जिन्ना। एक बात बहुत खलती है इन सबमें कि आदर-सम्मान ठीक है मगर सारे के सारे लोग जिन्ना को 'कायदे आजम जिन्ना साहब' ही क्यूँ कहते थे, जबकि वो तो गांधी, नेहरू, पटेल, मौलाना ऐसा सीधा बोलता था सबके लिए। अभी कि संसद टीवी (जो पहले राज्यसभा टीवी) थी, की एक सीरीज 'सविंधान' फिर से देख रहा हूँ आजकल, जो यूपीए सरकार के दूसरे पीरियड में बनाई गई थी। स्वरा भास्कर को पहली बार अपन ने यहीं देखा था और जोरदार फैन हो गये थे अपन। जब हाॅस्ट करती हैं वो तो उनकी आवाज और लिप्सिंग का जो ठहराव है, खींच लेता है देखने-सुनने को।

खैर, पहुँच गये हैं अपन वापस अपने सिवाना। सुबह साढ़े पाँच उतर गये थे यहाँ और घर आकर  वापस सो लिये। साढ़े सात उठकर सफाई की कमरे की। हर दरवाजा-खिड़की बंद थी, फिर भी धूल की एक प्रतिशत चढ़ ही गई पूरे घर में। ऑफिस पहुँचकर रिअम्बर्समेंट वाले सारे काम किये लंच से पहले। लंच में खाना खाकर पोचा भी घुमा दिया सारे घर में एक बार तो। हरीश भाई आ गये थे लंच के बाद तो। शाम को घर आकर थोड़ा पढ़ा और थोड़ा सविंधान देखा बस।

आपनी मनोहरा से ढंग से बात नहीं हो पाई पूरे दिन तो मन का कुछ नहीं कह सकता। बस ये है कि ध्यान दिया मैंने खुद को ठीक करने मे। डी-वर्मिंग के बारे में सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी को कुछ सुना तो खुद के लिए परिष्कार के लिए भी कुछ सोचा है। पाकिस्तान की वुमन ऑफ द नेशन मुनिबा मजरी की बायोग्राफी सुनी उन्हीं के मुँह से, तो अपने होने पर थोड़ा और विश्वास बढ़ा। शारीरिक रूप से अच्छा निकाला दिन मैंने। बाकी देखते हैं। अभी तो सो ही जाते हैं...
गुड नाईट...

- सुकुमार
27-10-2022

Comments