सिवाना डायरीज - 75

 सिवाना_डायरीज  - 75


'East is east and west is west. Never the twain shall meet.'

-रुडियार्ड किप्लिंग की कविता 'The ballad of east and west' की ध्रुव पंक्तियों को क्वोट करते हुए NEP-2020 के संदर्भ में राजस्थानी भाषा के संवर्धन के मायने तलाशते एक बाऊजी की शंका थी कि अंग्रेजी भाषा को स्टेटस-सिम्बल क्यों न माना जाये अगर वो सच में आपको बाकि सबसे एक पायदान ऊपर या नीचे खड़ा रखती है? प्रश्न पूछने का उनका अंदाज और प्रश्न की प्रेक्टिकल प्रवृत्ति दोनों अद्भुत लगी मुझे। मंच पर बैठे आदरणीय दिनेश जी गहलोत और डाॅ. जितेंद्र सोनी जी ने अपने कर्तव्य की पूर्ति लगभग यह कहते हुए की कि हम सबके प्रयास करने में क्या बुराई है? हम राजस्थानी बोलें, और राजस्थानी को व्यापार और व्यवहार की भाषा बनायें तो एक दिन स्वतः यह भी मान्यता प्राप्त बाकि सभी भाषाओं के साथ खड़ी होगी। दिन था आज का और अवसर था रेख्ता फाउंडेशन द्वारा आयोजित 'अंजस महोत्सव - जळसो राजस्थानी रो' का। मैं ईश्वर को खूब धन्यवाद देता हूँ कि मुझे इस तरह के कार्यक्रमों में जाने के वह अवसर प्रदान करता रहता है।


बहरहाल, सूर्य नगरी जोधाणा हूँ आज। सुबह सवा चार बजे उठ तैयार होकर निकल गया था सिवाना से सूर्य नगरी के लिए। मोकलसर की ट्रेन वाले टाईम से लगभग पंद्रह मिनट लेट हो गया था तो बस से पहले बालोतरा आया और फिर वहाँ से जोधपुर। समय से लगभग एक घंटे पहले पहुँच गया था मैं कार्यक्रम के मुख्य द्वार पर। सौभाग्य रहा कि विजयनगर से आये ब्लाॅगर मोनु भैया, बाड़मेर से आये आकाश भैया और भीलवाड़ा से आये महावीर और रणजीत भैया पहली मुलाकात से ही दिन-भर के साथी हो गये। लंच के बाद तो होड़ा वाले मोहनपुरी जी, गंगापुर वाले मूमल भैया और और साथी भी आ गये थे। तारीख 29 अक्टूबर, 2022 मेरे जीवन की श्रेष्ठ तारीख कैसे हो गई इस पर अलग से पूरा एक आर्टिकल लिखूँगा। खूब सारा जानने-सीखने को मिला आज। तीन स्टेज थे गढ़ गोविंद रिसोर्ट में आज। रियाण, पोशाल और जाजम। जाजम पर अपने चन्द्रभान भैया हाॅस्ट कर रहे थे और रियाण मुख्य स्टेज था। खूब सेलिब्रिटीज आये दिन-भर में अलग-अलग स्टेजेज पर। शाम को होने को तो अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणविद मगर मेरे पितातुल्य खम्मू जी भी आ गये थे वहीं। अभी रात्रि-विश्राम के लिए यहीं आया हूँ बाऊजी के वृक्ष-घर में ही। प्लानिंग में ये है कि सुबह बाऊजी के साथ जाजीवाल धोरे पर जाना है। मेरी तो खूब सारी ख्वाहिशें ईश्वर मजाक-मजाक में यूँ ही पूरी कर देता है। कुछ फाॅरेनर्स आ रहे हैं जो डाॅक्यूमेंट्री बनायेंगे खम्मू जी और उनके कार्यों पर। यहाँ इनका भतीजा अनिल पास वाली चारपाई पर ही लेटा है। बहुत टैलेंटेड बंदा है। खम्मू जी का स्नेह हमेशा मेरे द्वारा उनके सम्मान पर भारी ही पड़ा है। 


ईश्वर को धन्यवाद देने का मन करता है बार-बार कि वह ऐसे सुयोग लाता रहता है मेरे जीवन में जिससे मैं बूस्ट हो सकूँ। मेरे लिए उत्प्रेरक है ये सब जो हो रहा है। सच्चे मन से कहूँ तो जी लिया है मैंने आज का पूरा दिन। मन ठीक रहा। बहुत ज्यादा भीतर जाने का समय भी नहीं मिला तो गया भी नहीं। मनोहरा के लिए अविनाश मिश्र जी की वर्षावास पुस्तक लेनी है, वो अरेंज करता हूँ देके कहीं से। बाकि सब जय-जय। अभी तो शुभ रात्रि। कल सुबह जल्दी ही जाजीवाल धोरे पर जायेंगे बाऊजी के साथ...


- सुकुमार 

29-10-2022

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