सिवाना डायरीज - 80

 सिवाना_डायरीज - 80


'जब मैं था तब गुरू नहीं, अब गुरू हैं हम नाय।

प्रेम गली अति सांकरी, जा में दो न समाय।।'

-कबीर जी कह गये थे मध्यकाल में और अपने राजस्थान में अभी मुझे प्रासंगिक प्रतीत हो रहा है नये वाले हाईकमान के साथ गहलोत जी और पायलट जी के संदर्भ में। काफी चुप रहे फारूक अब्दुला के जंवाई जी इस बार। खूब हो-हल्ला मचा, पर इधर से उफ्फ तक नहीं की उन्होंने। राजकुमार पैदल ही है अब तक और हाईकमान बदल गये हैं। जो हाईकमान हुए हैं, उनसे बहुत उम्मीदें हैं श्रीनगर के कंवरसा को। अभी जो बोले ये, ज्ञानी टाईप की बात थी। मेरा मानना है कि इनकी आपसी लड़ाई में आम कार्यकर्त्ता परेशान है इनकी पार्टी का। ओसियां की बिटिया रानी और खाचरियावास वाले प्रताप जी सीधे पायलट नहीं बन रहे हैं, लेकिन उनके विमान को धक्का तो दे ही रहे हैं। उधर जोशी जी, कोटा वाले शांति जी और पुष्कर मेले के कर्म-धर्म में व्यस्त धर्मेंद्र बाबू आड़ बनकर खड़े हैं उनके विमान के।


बहरहाल, बाड़मेर में दूसरा दिन रहा आज। पूरे दो सत्र ऑनलाइन रहे। तेलंगाना के सांगारेड्डी जिले में ईसीई पर अच्छा काम हुआ है। वहाँ के काॅर्डिनेटर ने ऑनलाइन सेशन लिये आज। शाम को डिस्ट्रिक्ट कॉर्डिनेटर रवि भाई ने समेकन किया पूरी वर्कशाॅप का। लंच के बाद एक सेशन में गतिविधि आधारित असेसमेंट हुआ आज के पूरे सिखे का। अपनी आशिमा दीदी और सिरोही से सुगमकर्ता के रूप में आई गीतिका जी ने अच्छे सेशन लिये पिछले इन दो दिनों में। डिनर आज धोरीमन्ना वाले घनश्याम जी के साथ हुआ अपना एमआर रेस्टोरेंट में। खाना जोरदार था पर सर्विस बिल्कुल फिसड्डी। एमआर स्पेशल के नाम पर तीन सब्जियाँ एक ही प्लेट में आ गई। मसाला पापड़ से पहले सब्जी और लच्छा पराठे आ गये। स्वीट्स में गुलाब जामुन छाछ के साथ आये। और भी बहुत कुछ। खैर हँसते-हँसते निकले हम वहाँ से। हैदर भाई रूम में सो चुके थे मैं आया था तब तक।


अब मन की बात कहूँ, तो सच में ठीक नहीं है। रिश्तों को बचाये रखने के लिए डिफेंसिव हो जाना आदत हो चुकी है मेरी और अब मुझे खल रही है ये। मन की सारी शिकायतें मेरी ही गलतियाँ सिद्ध हो जाती हैं और बात खत्म होने के बाद मैं हारा हुआ महसूस कर रहा हूँ आजकल। ठीक से सो भी नहीं पा रहा इस चक्कर में। कुछ समझ नहीं आ रहा। खैर अभी सोने की कोशिश करता हूँ फिर से। चलो गुड नाईट...


- सुकुमार 

04-11-2022

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