सिवाना डायरीज - 81
सिवाना_डायरीज - 81
"पिता दीन्ह मोहि कानन राजू।
जहाँ सब भाँति मोर बड़ काजू।।"
-यहाँ बाड़मेर में होटल कलिंगा में ही सुबह-सुबह मेरे वन ऑफ फेवरेट श्री विजयशंकर मेहता जी को सुन रहा था। रामजी कह रहे हैं माँ कौशल्या से ये बात जब दशरथ जी ने आधी रात को बुलाकर अपनी विवशता बताई थी उनको। कल भोर जिनका राजतिलक तय हो और पूरी नगरी इसकी तैयारी कर रही हो, उस व्यक्तित्व के माथे पर एक भी सिलवट नहीं ये सुनकर भी कि सुबह से उसे जंगलों में भटकना है! मुझे लगता है गोस्वामी जी की कलम भी रो पड़ी होगी एक बार तो। स्वयं माँ कैकेयी भी कितनी खुश रही होगी, ये बाद की रामकथा में पता चलता है। लेकिन सबसे ज्यादा प्रसन्न हमारे रामजी थे। प्रसन्न थे कि पिता के वचनों को निभाने का दायित्व मिला है। आज का परिवेश देखता हूँ तो सब-कुछ इसका उलट दिखता है। मैं जहाँ से नेटिवली आता हूँ वहाँ तो पन्द्रह-सोलह साल के बच्चे अपने पिताजी से हिस्सा मांगने चले जाते हैं। उन पैसों से बुलेट, आईफोन और स्कार्पियो तक देखी है मैंने। सोचता हूँ तो मन करता है कि जितना ला पाऊँ रामजी को खुद में, रामजी उतना सामर्थ्य देते रहें।
खैर, आज बाड़मेर गणित टीम की मीटिंग थी डीआई में ही। बाड़मेर ब्लाॅक के काॅर्डिनेटर सज्जन भाई ने फैसिलिटेट किया आज। बीच में रवि भाई ने भी अपनी बात रखी। रवि भाई को सुनना यहाँ फाउंडेशन में मेरे लिए सबसे अच्छा मोमेंट होता है। गजब का ज्ञान है उनमें और उससे भी गजब की प्रजेंटेशन स्किल। गणित टीम की आगामी तीन महीनों की योजना बनाई सबने मिलकर। स्केफोल्डिंग प्लान में इसके एक्जिक्यूशन पर भी बात की गई। अंतिम सत्र में वीटीएफ्स और ऑल टीचर मीटिंग जैसे डाॅमेन्स में दो टीमें बनाई गई। पाँच बजे निकल लिये थे आज हम बाड़मेर से अपने सिवाना के लिए। बायतू तक शाहनवाज भाई और बालोतरा तक दिनेश भाई साथ थे। दिनेश भाई के घर काॅफी पी हमनें और फिर निकल लिये सिवाना के लिए। शाम को आठ बजे इधर ही थे अपन। आते ही दीवाली की तर्ज पर सफाई शुरू कर दी क्योंकि अपने लिए तो अपने भगवान मम्मीजी-पापाजी आ रहे हैं कल। एक्साइटेड हूँ कि अब बचपने से बाहर निकल उनको थोड़ी मैच्योरिटी बता पाऊँ। सफाई करते-करते ग्यारह बज गये है और एक कमरा निपटा है अभी तो। सुबह जल्दी उठकर हाँल और रसोई भी साफ करनी है।
मन उलझा ही है। पूरी कोशिश है अब अपनी अवेलेबिलिटी ठीक करने की। कुछ लोग अपनी सहुलियत के हिसाब से उपयोग में लेने लग जाते हैं अगर इसे ठीक न किया जाये तो। बात आपको वैल्यू देने की है। मैं कभी ज्यादा पजेसिव नहीं रहा, बट जब अपनी वैल्यू ही न हो तो वहाँ रहना कितना ठीक है? यही सोच रहा हूँ। खैर अभी सो जाता हूँ। कल तो अपने घर और मन में उत्सव जैसा रहेगा दिन-भर। आखिर भगवान जो आ रहे हैं...
गुड_नाईट...
- सुकुमार
04-11-2022
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