सिवाना डायरीज - 87
सिवाना_डायरीज - 87
दो क्वोट्स से बात शुरू करता हूँ-
"प्रेम कभी गलत हो ही नहीं सकता। प्रेमी या प्रेमिका गलत हो सकते हैं। अगर आपने गलत जगह प्रेम किया, तो इसमें प्रेम की कोई गलती नहीं है। वह गलती आपकी है।"
और,
"आप खुद को जिस जगह पर प्लेस करते हो, वह जगह डिसाइड करती है कि आपकी वैल्यू क्या है। किसी अच्छे पत्थर की कीमत बाजार में दो सौ रूपये, संग्रहालय में बीस हजार और जौहरी के यहाँ दो लाख हो सकती है। यह आप पर है कि आप खुद को कहाँ पेश करते हो।"
-पहला वाला अपने कारोई वाले शिव जी भाईसाहब के स्टेटस से उठाया है और दूसरा वाला आज स्प्रिंगबोर्ड वाली लक्षिता मे'म सुना रही थी। पहली वाली बात पिछले दो-तीन दिनों से निराश-हताश मेरे मन को सांत्वना भी है और सच्चा-सच्चा मोटिवेशन भी। दूसरी बात सच में सोचने लायक है। हम एंवई इधर-उधर भटकते रहते हैं खुद को तश्तरी में लिये किसी की खिदमत में पेश कर देने के लिए। जबकि वही ऊर्जा हमें खुद को और श्रेष्ठ करने में लगानी चाहिए। थ्री-इडियट्स वाले रेंचो का डायलाग सच में सही लग रहा है आज कि - 'सक्सेस के पीछे मत भागो। काबिल बनो। जो काबिलियत तुममें आयेगी, सफलता उसके पीछे-पीछे दौड़ी चली आयेगी।'
बहरहाल, दिन की शुरुआत वैसी ही औसत। शरीर को ठीक करने वाली योजना आज फिर विफल रही। फिर आलस कर गया। नहा-धोकर प्राईमरी स्कूल, झुंझाणों की ढाणी गया। प्रार्थना मैंने ही करवाई बच्चों को आज - 'तुम्हीं हो माता, पिता तुम्हीं हो' वाली। कुल 17 बच्चों का नामांकन है और उपस्थित 12-13 ही रहते हैं बस। दो टीचर्स हैं। एक स्थानीय हैं जो केवल साईन करने आते हैं और एक विमला मे'म हैं जो बच्चों को जमीन पर ही बैठाकर पढ़ाती है। उनसे बात करने के बाद आज एक और नई स्कूल गया - राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय, माहिलावास। शानदार स्कूल है। कुल 179 का नामांकन हैं और स्टाफ भी भरपूर। नाम बालिका उच्च प्राथमिक है, मगर को-एड है स्कूल। एचएम सर शर्मा जी और टीचर्स का खूब सपोर्ट मिला। इस स्कूल में भी बने रहना फिक्स किया है अब। लंच के बाद वहीं माहिलावास की ही मालियों का बेरा मिडिल स्कूल में गया। वहाँ तो सेलिब्रिटी जैसे फीलिंग आती है आजकल। पहली-दूसरी कक्षा के साथ ही रहा पूरे टाईम। वापस आकर ऑफिस में दो-तीन प्रिंट-रीच तैयार की है इंग्लिश कविताओं की और गणित की। घर पहुँचकर अगले दिन को अच्छे से शुरू करने का खुद से प्रोमिस कर बस सोने की तैयारी में हूँ। वंडर सीमेंट वाले रितेश सर के आर्टिकल को भी पूरा किया है।
मन इंतजार में हैं अभी तक। मगर न आना भी सीख दे रहा है जीवन में। देखते हैं क्या होता है आगे। अभी तो सो ही जाते हैं। शुभ रात्रि...
- सुकुमार
10-11-2022
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