सिवाना डायरीज - 91

 सिवाना_डायरीज  - 91


"Don't judge any book by it's cover."

-कितनी सही है ना ये बात! अगर आप सच में मैच्योर है, तो ये गलती वैसे ही नहीं करोगे आप। आदमी पुतला है सच में अच्छाईयों और बुराईयों का। अगर ध्यान से देखो तो कहाँ कोई भी किसी एक सेट में फिट बैठता है। निदा फाजली जी का शेर है ना वो-

'हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी।

जिसको भी देखना हो, कई बार देखना।।'

इसे मेरी कमी कहो या खासियत, मगर एक बात तो है। मैंने आज तक जिंदगी के सारे प्रयोग खुद पर ही किये हैं। फिर सीखना चाहा है उनसे। तो बात यह है कि मैंने खुद को ही देखा है यूँ कि कितना ही शैतान भरा है मुझमें भी और थोड़ा-बहुत इंसान भी। मेरे मन में आ जाती है कई बार किसी भी तरह से खूब सारे पैसे कमाने की अनैतिक योजनाएँ। मैं खुद के प्रति भी वफादार नहीं रह पाया आज तक और और किसी के प्रति भी। दिल कभी नहीं करता कि किसी का भी दिल दुखाऊँ, मगर क्या पता थोड़ा-बहुत आवेश तो जेनेटिक भी है। मैं कितना सच्चा हूँ, मुझे खुद को संदेह रहता है इस बात पर। कुछ समझ नहीं आता। कई बार लगता है जिंदगी के इकत्तीस साल यूँ ही बर्बाद कर दिये और कई बार लगता है कि जो पाया है, वो भी कम कहाँ हैं! 


बहरहाल, नये वीक का पहला दिवस। आज से न्यू-ज्वाइन्ड टीचर्स की ट्रेनिंग शुरू हुई अपने ऑफिस में। अपन सुबह-सुबह मायलावास की गर्ल्स अपर प्राइमरी में जा आये। लंच तक बच्चों से खुब बातचीत हुई और लास्ट में कुसुम मे'म से भी। बहुत ही अच्छा स्कूल है वो। लंच सरकारी ही किया आज ट्रेनी टीचर्स के साथ। महेश जी नये मित्र बने हैं मायलावास की उसी स्कूल के जहाँ सुबह था। वे यहाँ ट्रेनिंग में हैं। पहले दिन शिक्षकों के समुदाय के प्रति दायित्वों और उनकी शिक्षण से अपेक्षाओं पर बातचीत हुई। अंतिम सत्र में शिक्षा विभाग की संगठनात्मक संरचना पर बात हुई। बाड़मेर से देवा भाई लाइब्रेरी से सम्बंधित इश्यूज पर बात करने के लिए आये थे। अभी देर रात खाना खाया आज हमनें अरिहंत होटल पर। बहुत ज्यादा ही औसत था खाना स्वाद के हिसाब से। बाल दिवस था आज मगर कहीं किसी कार्यक्रम में शामिल न हो सका।


मन ठीक रहा। बस एक बार 'काची' आ गई थी ऑफिस में सेशन के दौरान ही पुरानी बातें सोचकर। रात को देवा भाई और हरीश भाई 'शादी में जरूर आना' देख रहे थे तो अपन भी आरती के सत्तू की तरह होना चाहिए रहे हैं अभी सोते-सोते। शुभ रात्रि...


- सुकुमार 

14-11-2022

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