सिवाना डायरीज - 92

 सिवाना_डायरीज  - 92


'कभी भी अच्छा बनने की कोशिश मत करो।

बर्बाद हो जाओगे।।'

-थम्बनेल है अवध ओझा सर के एक यू-ट्यूब विडियो का। कंटेंट भी जबरदस्त है उस जबरजस्त आदमी का। प्रेक्टिकल जिंदगी समझा रहे हैं। खास ये है कि उसके कमेंट सेक्शन में मैंने पाया कि उसे देखने वाले सारे लोगों के पास अपनी एक अच्छाई है, जिसका फायदा किसी और ने उठाया है। सोच रहा हूँ इस बात को लेकर रेंडमली भी अगर मैं लोगों के बीच जाऊँ, तो भी यही सीन सामने आयेगा कि सुनने वाले की किसी एक अच्छाई का उसको कितना नुकसान हुआ है। इवन सब के सब लोग, हाँ दुनिया-भर के, यही कहेंगे कि सही में ज्यादा अच्छा आदमी होना ठीक नहीं है यार। सब के पास अपने अच्छे होने के कारण हुई धोखेबाजी की कहानी है। इन सबके बीच मैं केवल यही सोचता रहता हूँ कि अगर सारे आदमी अच्छे हैं दुनिया में, तो बुरा कौन है!


खैर, वीक का दूसरा दिन। सुबह-सुबह मालियों का बेरा स्कूल में और फिर नवनियुक्त शिक्षकों की ट्रेनिंग में। मालियों का बेरा स्कूल में मजा आता है सच में। तीसरी और चौथी कक्षा के बच्चों के साथ बात करने का मजा ही कुछ और है। उस स्कूल में हो-हल्ला बहुत होता है बच्चों का मुझे अपनी क्लास में बुलाने के लिए। अब मुझे थोड़ा बनावटी गुस्सैल होना पड़ेगा। लंच के बाद ट्रेनिंग सेशन और फिर लास्ट में हम तीनों की समीक्षा बस। यही रहा दिन। रात को रघुनन्दन जी के हाथ की बनी दाल-बाटी बहुत ज्यादा ही टेस्टी थी। इस बार ये बनाने का आग्रह मेरा था और मैं बहुत खुश था आज डिनर में यही पाकर। रघुनन्दन जी मन पढ़ लेते हैं यार अपना। मन खूब धन्यवाद कहने को है उनको।


मन की हालत ठीक-ठाक है। तबियत में सुधार है इसकी। अपने स्वाभिमान की रक्षा वाला पर्दा ढक रहा है अभी सारा अतीत। बाकि देखते हैं, क्या होता है। अभी तो सो जाते हैं। शुभ रात्रि...


- सुकुमार 

15-11-2022

Comments