सिवाना डायरीज - 96

 सिवाना_डायरीज  - 96


"गर फिरदौस बर-रू-ए-जमीं अस्त।

हमीं अस्त ओ हमीं अस्त ओ हमीं अस्त।।"

-मुगल बादशाह जहाँगीर ने पहली दफा कश्मीर को देखकर बोला था ये फारसी शेर कि धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है, तो यहीं है, यहीं है, यहीं है। वैसे राजस्थान का कश्मीर उदयपुर को कहा जाता है और बाड़मेर का हमारे सिवाना को। हमारा सिवाना भी यों कम नहीं है अपनी सुंदरता के मामले में। ड्रोन से कभी कोई ऑवर-व्यू ले, तो बहुत खूबसूरत तस्वीर आयेगी अपने सिवाना की भी। बचपन से जीके में पढ़ते आये हैं कि छप्पन की पहाड़ियाँ बाड़मेर में है, यहाँ आकर जाना कि बाड़मेर के कश्मीर सिवाना में है। कुछ अपनी तरह की अलग ही विशेषताएँ हैं सिवाना कि जो इसे और भी खूबसूरत बनाती है। मसलन नीचे बलूई मिट्टी और ऊपर पहाड़ियों की ऊँचाई, मने न संक्रमण क्षेत्र है ये अरावली और थार का। अनार की खेती इतनी पनपी है पिछले समय में कि लोग करोड़पति हो गये हैं, केवल अनार-अनार से। एक बाऊजी बता रहे थे कि यहाँ के बाजरे का टेस्ट ज्यादा अच्छा हैं सांचौर-धोरीमन्ना से। और वैसे भी पहाड़ियाँ हैं तो महादेव जी हैं ही। 


खैर, अच्छा दिन शनिवार का। आज से समावेशी शिक्षा और विद्यालय सुरक्षा पर ट्रेनिंग शुरू हुई है। सरकारी तंत्र की ट्रेनिंग लगभग दो घंटे देर से शुरू होती है और अक्सर एक घंटे पहले खत्म भी हो जाती है। यहाँ भी यही सीन था। ग्यारह बजे के लगभग तो एमटीज आये। दोनों एसीबीईओज और एमटीज के आने के बाद शुरू हुआ पहला सेशन। अपना ठीक-ठाक रहा हर सत्र। कोशिश की मैंने विद्यालय सुरक्षा को अपने विषय में ठीक से शामिल करने की। शाम को हमारे वाले समूह के एमटी जो कि पीईईओ भी है सिवाना के, ने पीठ थपथपाई मेरी। बोल-बोलकर थक चुके हैं आज तो। कल रविवार है, फिर भी जाना है ऑफिस। और कल तो अकेला हूँ मैं। हरीश भाई जयपुर जा रहे हैं और सुरेश भाई के घर पर कुछ काम है। देखते हैं कैसे हेंडल होता है सब।


मन ठीक रहा। सुबह-सुबह बीके शिवानी जी ने पाॅजिटिव कर दिया था। कह रही थी कि जैसा सोचेंगे, वैसा हो जायेंगे। तो अपन ने भी मुस्कुराते रखा खुद को दिन-भर। अब नींद भी आई है। चलो सो जाते हैं। शुभ रात्रि...



- सुकुमार 

19-11-2022

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