सिवाना डायरीज - 110
सिवाना_डायरीज - 110
"हजारों काम मोहब्बत में हैं मजे के दाग।
जो लोग कुछ नहीं करते कमाल करते हैं।।"
-दाग देहलवी जी के इस शेर से शत प्रतिशत सहमत हूँ मैं। कई बार खुद को भी यूँ ही पाता हूँ कि कुछ नहीं कर रहा मैं और कई बार सत्य भी यही होता है। आज का दिन सुबह उठने से रात को सोने तलक ऐसा ही था कि कुछ काम नहीं है आज। मगर शाम तक यूँ महसूस होता है जैसे खूब अच्छा निकला दिन। वैसे तो दिन अपना थोड़ा भी जाया कहाँ जाने देता हूँ मैं। मगर फिर भी औसत से कई गुना ठीक रहा आज का दिन।
बहरहाल, सुबह उठकर कल की तरह ही क्रिकेट के लिए पहुँच गये थे हम स्टेडियम में। बबलू मामासा, मोनु मामासा, जम्भेश और शानू के साथ खेलने का अपना अलग ही आनंद है। घर आकर अपने योगसा से बात हुई तो किसी स्कूल में जाना तय हुआ माॅटिवेशनल सेमिनार के लिए। नहा-धोकर उनके स्कूल गया और फर्स्ट शिफ्ट खत्म होने के बाद हम गुरलां सीनियर सेकेंडरी स्कूल गये। वैसे आज राजस्थान सरकार की तरफ से अध्यापक-अभिभावक बैठक का कार्यक्रम था, तो गर्ल्स स्कूल में दिनू भाईसाहब से भी मिलना हो गया जो अपनी भतीजी के साथ वहाँ आये थे। गुरलां स्कूल में अपने पुर के ही नीलम जी पुरोहित प्रिंसिपल है और जब्बर सिंह जी वरिष्ठ अध्यापक। स्कूल को बहुत सुंदर कर रखा है जब्बर सिंह जी ने। बरगद से लेकर रातरानी के फूलों तक वाले हर तरह के पौधे मिल जायेंगे आपको वहाँ। योगेश जी भाईसाहब के शानदार स्पीच में मजा आ गया। वहाँ से लौटकर 'वर्च्यूज ऑफ अ सेल्फ सटिसफाईड लाईफ' बुक के राईटर हमारे पुर के ही राहुल भैया से मिलना हुआ। गज़ब की पर्सनलिटी है यार वो। रात को खाना घरवालों के साथ बैठकर खाया तो आनंद आ गया। ईशू आज फिर मेरे पास सोने को तैयार है।
मन इधर-उधर नहीं हुआ क्योंकि मैंने होने नहीं दिया। अब इसी तरह थोड़ा खींचा रखना है इसे। मन को भी कम्फर्ट जोन से बाहर निकालना पड़ेगा। बस इसी कोशिश में हूँ मैं। बाकि तो जय-जय।
- सुकुमार
03-12-2022
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