सिवाना डायरीज - 117
सिवाना_डायरीज - 117
'दुनिया तुमसे तुम्हारा मन और सुकून नहीं पूछेगी, वह केवल तुम्हारा पद और तनख्वाह जानने के लिए बनाई गई है।'
- किसी महान विचारक का कहा नहीं है ये। अपने ही मन में चल रहा था तो लिख दिया। असल में दुनिया ऐसी ही है। किसी को मतलब नहीं कि आप खुश है या नहीं। असल में हमें भी तो कहाँ मतलब है परिचितों और रिश्तेदारों की खैर-खबर से। हम भी यही कर रहे होते हैं आम जन-जीवन में।
बहरहाल, सिवाना आने के बाद का सबसे नीरस दिन रहा आज। शनिवार था और शनिवार मतलब ऑफिशियल लीव। दिन-भर पड़ा रहा घर में मन नहीं था तब भी। यू-ट्यूब पर कुछ विडियो देखे बस। शाम ढले बाहर निकला तो हरीश भाई के रूम पर चला गया। मटर-पनीर की सब्जी बनाई हरीश भाई ने। सचमुच बहुत ही ज्यादा टेस्टी। मजा आ गया आज तो खाने का। अभी साढ़े नौ बजे आया हूँ उधर से अपने घर और नींद बाट जो रही है।
मन का अभी बस। कुछ नहीं। शुभ रात्रि...
- सुकुमार
10-12-2022
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