सिवाना डायरीज - 120

 सिवाना_डायरीज  - 120


"जिस्म क्या है, रुह तक सब कुछ खुलासा देखिए,

आप भी इस भीड़ में घुसकर तमाशा देखिए।

जो बदल सकती है इस दुनिया के मौसम का मिज़ाज,

उस युवा पीढ़ी के चेहरे की हताशा देखिए।"

- अदम गोंडवी सर की पंक्तियाँ हैं ये। हमारे ऑफिस में एक चार्ट पर लिखी हुई है। रोज पढ़ता था, पर कभी इतना गौर नहीं किया जितना आज महसूस हुआ जब हरीश भाई यहाँ काॅलेज में बच्चों के बीच बोल रहे थे। सच में युवा पीढ़ी सारी निराश है आज के समय में। सबके सामने तलवार लटकी है भविष्य के नाम की। एक प्रतिष्ठित और सुरक्षित नौकरी देने वाली संस्था में काम करते हुए भी मैं बहुत असहज हूँ युवा होने के नाते। आगे की सोचता हूँ  तो कंपकंपी सी छूटती है। 


बहरहाल, सप्ताह का तीसरा दिन। वैसे ही निकल गया जैसे बाकि के निकल रहे हैं आजकल। नौ बजे ऑफिस गया और बारह बजे तक विशुद्ध रूप से गाने सुने बस, वहीं बैठकर। राहुल का वर्थ-डे है तो उससे बात की आज। बारह बजे काॅलेज गये हम यहाँ के। सिवाना के काॅलेज का नाम है - वीर नारायण परमार राजकीय महाविद्यालय। सिवाना के संस्थापक है वीर नारायण परमार जी। काॅलेज में स्वीकृत नौ पद है। जिनमें से बस एक भरा हुआ है। गिरधारी जी संस्कृत के सहायक आचार्य है जिनके पास प्राचार्य का पदभार भी है। काॅलेज प्रबंधन और शिक्षा व्यवस्था पर ढेर सारी बातों के बाद दो कक्षाओं में जाना हुआ। काॅलेज स्टूडेंट्स के साथ बात करना अपने-आप में बहुत खास है। सामान्य परिचय सत्र जैसा ही रहा आज तो। पर हाँ, मजा बहुत आया। लौटकर भी गाने ही सुने आज तो। शाम को हरीश भाई के साथ भैरव होटल जाना हुआ और लौटकर अभी बिस्तरों में हूँ। बस यही है अपना जीवन।


मन चुप है। किसी की प्रतीक्षा कर रहा है। प्रतीक्षा लौट आने की। बाकि सब ठीक।


- सुकुमार 

13-12-2022

Comments