सिवाना डायरीज - 121

 सिवाना_डायरीज  - 121


"राजपूतों के उदय का सबसे प्रामाणिक कारण सामंतवाद और भूमि अनुदान रहा।"

- कितना मुश्किल है ना इस तरह से विवादास्पद विषयों पर इतने जोर से टिप्पणी करना? अवध ओझा सर फायर है सच्ची। एक न्यूज चैनल पर कोई सी सीरीज है उनकी, जिसमें इतिहास के ऑथेंटिक फेक्ट्स बता रहे हैं दादा। मतलब ना आग से खेलने की आदत हो गई है दादा को। इधर वाले हो या उधर वाले, सब अपने-अपने पाजामे पहना रहे हैं इतिहास को। किसी की लम्बाई कम पड़ गई है और कहीं-कहीं टाईट हो जाने से फटने भी लगा है पाजामा। मगर बाज कोई नहीं आ रहा। अवध महाराज के इस झंडे में काफी कुछ प्रेक्टिकलिटी है। मैं कभी-भी नहीं हूँ उनका अंधभक्त मगर बंदा क्रिटिकल इश्यूज पर इतनी सहजता से कर लेता है बात कि सैल्यूट करने का मन होता है।


बहरहाल, विनोद भाऊ की स्कूल में था आज। जीजीयूपीएस, मायलावास में। विनोद भाऊ के पापा आये थे पहली बार स्कूल में और वो भी खूब सारी मिठाई लेकर। मनोज मे'म और सरोज मे'म ने बाकि के नाश्ते की सारी तैयारी कर रखी थी। लंच कर लेने के तुरंत बाद वही निपटाया। तीसरी कक्षा के बच्चों के साथ कविताओं और गिनती पर काम किया भैया और हम दोनों ने। चौथी-पाँचवी में भी हिंदी और अंग्रेजी की कविताओं पर बात की। व

लौटते हुए निम्बेश्वर स्कूल होता हुआ आया। विनोद भाऊ और दुदाराम जी को तैयार कर लिया है अपन ने एलएससी के लिए। ऑफिस आकर बैडमिंटन खेला आज सुरेश भैया के साथ। अच्छा खासा पसीना आया। तृतीय श्रेणी अध्यापक की वैकेंसी आ गई है। इंसान होने के नाते एक ठीक काम करने का भी प्रोमिस किया अठीक इंसानों को। मनाते-मनाते खूब रोया भी। मगर नहीं हुआ कुछ भी ठीक। घर आकर बिस्तरों में हूँ बस। 


मन नहीं है नियंत्रण में। खुद को समझाये जा रहा हूँ। बाकि देखते हैं कि क्या होता है...


- सुकुमार 

14-12-2022

Comments