सिवाना डायरीज - 124

 सिवाना_डायरीज  - 124


"थोड़ा सा अहंकार-शून्य और साहस तो चाहिए ही होता है ऊपर उठने के लिए। उड़ने के लिए अगर केवल पंखों की ही आवश्यकता होती, तो ईश्वरीय कण हिग्स-बोसोन बना लेने वाला आदमी दो पंख भी न बना लेता खुद के लि!!!"

- बस वो ही साहस हर दूसरे दिन काफूर हो जाता है मुझमें। कल से लिया सुबह तीन-चार घंटे पढ़ने का व्रत अगले ही दिन ढह गया। व्यस्तता का बहाना दे हर बार खुद को पागल बनाता आया हूँ मैं। लेकिन जिंदगी में ये ठीक जगह तो नहीं ले जाने वाला! सब-कुछ जानते हुए भी मैं ठीक नहीं कर रहा हूँ अपने भविष्य के साथ।


खैर, सुबह साढ़े छः उठा और तैयार होकर सात बजे निकला घर से बालोतरा की बस के लिए। सुरेश जी और हरीश भाई के साथ लगभग पौने आठ बजे निकल पाया। एक पकवान, काॅफी और बिस्किट का पैकेट निपटा लिये थे आज पहले ही। बाड़मेर टीम मीटिंग का कोई स्पेशल एजेंडा नहीं था, बस उत्तराखंड के स्टेट-काॅर्डिनेटर शोभन जी के साथ गपशप टाईप बातचीत थी। उत्तराखंड राज्य और वहाँ के काम के बारे में काफी कुछ समझाया उनके साथ आये मयंक जी ने। शोभन जी बहुत ही सहज और सुलझे हुये व्यक्ति है। शाम को सिंगिंग-डांस जैसी कुछ एक्टिविटीज के बाद डिनर रहा और फिर होटल में। अपन ने भी नर्सिंग वाली लड़की वाली कविता सुनाई। जोरदार थक चुके हैं आज तो।


मन मजबूत है आजकल। इसकी अनिश्चितता को निश्चितता में बदलना ही टार्गेट है अभी का बस। बाकि तो जय-जय। शुभ रात्रि...


- सुकुमार 

17-12-2022

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