सिवाना डायरीज - 126
सिवाना_डायरीज 126
"हिसा बुरी चीज है, मगर दासता उससे भी बुरी है।"
- आरएएस मैन्स का एक पुराना पेपर देख रहा था, उसमें पल्लवन के लिए प्रश्न था इससे जुड़ा हुआ। किसी की दासता में रहना, सच में सबसे ज्यादा पीड़ादायक है। दासता हर बार शारीरिक ही नहीं होती, अक्सर मानसिक भी होती है। और मानसिक दासता और किसी भी दुख से ज्यादा बड़ी है। एक बात तो है कि धीरज नहीं है मुझमें। और धैर्य की कमी पूरे जीवन को तहस-नहस कर देती है। ये महसूस किये जा रहा हूँ आजकल।
खैर, सप्ताह का पहला दिन सोमवार। खूब सारी उम्मीदें लेकर आता है ये कि इसके खत्म होने तक दिमाग में कुछ ज्यादा परोसूंगा अच्छा कंटेंट। मायलावास की दोनों स्कूलों में जाना हुआ आज। लर्निंग-लाॅस वाले आरकेएसएमबीके वाले पेपर चल रहे हैं सभी बच्चों के। लंच से पहले उच्च प्राथमिक विद्यालय, मालियों का बेरा स्कूल में था। दूसरी-तीसरी क्लास के बच्चों से बातें हुई ढेर सारी। लंच के टाईम टीचर्स से भी गपशप हुई। लंच के बाद गर्ल्स अपर प्राइमरी में रहा, मतलब अपने विनोद भाऊ वाली स्कूल में। छठ्ठी क्लास में गया वहाँ। विनोद भाऊ से ढेर सारी बातें हुई स्कूल के बाद भी। ऑफिस आकर लेसन-प्लान और एक्जिक्युशन रिपोर्ट पर काम किया जो दिनेश भाई ने मांगी थी, कल रात को व्हाट्सएप पर। सुबह से फ्रूट्स ही खाये हैं आज। कोशिश में हूँ कि सब-कुछ अच्छा जाये पेट में। अभी बिस्तरों में हूँ बस सोने के लिए।
मन को बहुत बांध रखा है आजकल। उधर तो नहीं ही जा रहा कम से कम। बाकि देखते हैं...
- सुकुमार
19-12-2022
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