सिवाना डायरीज - 128

 सिवाना_डायरीज  - 128


"नेकी की राहों पे तु चल।

रब्बा रहेगा तेरे संग।।"

- एक परिचित की काॅलर-ट्यून है। जब भी सुनता हूँ, नई ऊर्जा मिलती है इस गाने से। सब लोग यही जानने को लेकर एक्साइटेड हैं कि सच में अपने किये का फल मिलता है क्या दुनिया में! मैं खुद भी बहुत परेशान हूँ ये सोच-सोचकर। मन को कैसे भी समझा लूँ, मगर इसका उत्तर सच में कोई सिद्ध नहीं कर पायेगा।


खैर, सुबह उठते ही हरीश भाई को काॅल किया आज गर्ल्स सीनियर सैकंडरी स्कूल, सिवाना में एडाॅलसेंट्स के साथ कुछ बात करने को लेकर। साँवलराम जी प्रिंसिपल हैं वहाँ और सिवाना के पीईईओ भी। बहुत सहज व्यक्तित्व है। अभी पिछली समावेशी शिक्षा वाली ट्रेनिंग में खूब साथ रहा उनके। तो बस नहा-धोकर सवा दस बजे से ग्यारह बजे तक प्रतीक्षा की हरीश भैया की स्कूल के बाहर ही। सरकार के चार साल पूरे होने के उपलक्ष्य में इनकी योजनाओं वाले विषयों पर निबंध, वाद-विवाद और क्विज काॅम्पीटिशन था आज ही। हमें भी वहीं बैठने का अवसर मिला। साँवलराम जी बहुत सम्मान देते हैं सभी को। वहाँ से लौटकर पहले अपने यहाँ आये और खिचड़ी और हलवा बनाकर खाया हमनें। फिर ऑफिस ही रहे पूरा दिन।


मन ठीक है। बस और कुछ नहीं कहूँगा...


- सुकुमार 

21-12-2022

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