सिवाना डायरीज - 129
सिवाना_डायरीज - 129
"जो यह पढ़े हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।"
- हनुमान चालीसा कोई भी, कहीं भी, कभी भी पढ़ सकता है। कोई जगह, कोई समय और खास इंसान के होने की जरूरत नहीं है। आपको सिद्धि मिलेगी, और इस बात के साक्षी स्वयं माता गौरी के 'सा' अर्थात भगवान महादेव होंगे। सच बोलूँ तो इतने सुंदर अर्थ की कल्पना भी नहीं कर पाया आज तक मैं। खूब पढ़ी है हनुमान चालीसा और आज भी पढ़ता हूँ, मगर इन पंक्तियों का अर्थ आज बाल-व्यास शशि शेखर जी के मुँह से सुना पहली बार। इतना अद्भुत लगा सच में कि मन बार-बार यही स्मरण करने को हो रहा है।
खैर, दिन ठीक से शुरू नहीं हुआ आज। एलएससी में जाने का मेरा सारा मन खराब हो गया जब पता चला कि हरीश भाई का पहले से तय था। मन में कुछ नाराजगी आई है अपनी ही ऑर्गेनाइजेशन के लिए। यार सही-सही बताना होता है अगर आपको जानकारी हो तो। यूँ लगा जैसे हरीश भाई को शेयर करना चाहिए था अपना जाना निश्चित होना, अगर वो पहले से जानते थे। या फिर डिस्ट्रिक्ट कॉर्डिनेटर रवि जी क्लीयर कहते सुरेश जी से कि हरीश एज ए फेसिलिटेटर जायेंगे वहाँ। दिन-भर उदास रहा आज इस चक्कर में। परेशानी ये भी है कि विनोद भाऊ और दुदाराम जी मेरे भरोसे ही हैं एलआरसी में जाने के लिए। उनसे कैसे कहूँगा, ये सोच-सोचकर परेशान रहा। विनोद जी से तो बात भी हो गई, मगर दुदाराम जी से तो कुछ भी नहीं हो पाई बात अभी तक। लंच के पहले रामचंद्र गुहा की 'इंडिया आफ्टर गांधी' पढ़ी और लंच के बाद फिल्म 'आई एम कलाम' दिखाई जीजीयूपीएस मायलावास के बच्चों को। तीसरी क्लास जो कि मेरी क्लास है, नहीं बैठ पाई टेम्पररी थियेटर में। गुस्सा थे सब के सब। सुबह बाफले बनाये थे आज नाश्ते में। पेट ठीक रहा दिन-भर। मेला-मैदान वाली वर्षा मे'म का बर्थ-डे था, तो मिठाई और नाश्ता उनकी तरफ से आ गया था ऑफिस में ही। अभी शाम को विनोद जी से लगभग दो घंटे बातचीत के बाद बस सोने की तैयारी में हूँ।
मन ठीक ही रहा। मनोहरा का मैसेज आया था। थर्ड-ग्रेड का फाॅर्म फिल किया है, पेमेंट प्रोसेस नहीं हो पाया। सब-कुछ ठीक नहीं है हमारे बीच। उनका गुस्सा वही है। देखते हैं क्या होता है...
- सुकुमार
22-12-2022
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