सिवाना डायरीज - 134

 सिवाना_डायरीज  - 134


"शिक्षा का उद्देश्य केवल आजीविका के स्त्रोत तय करना नहीं, विमर्श की समझ तय करना भी है।"

- अपन ने ही लिखी है ये लाईन। अभी-अभी ही। और कुछ नहीं तो ऐसी लाईन्स ही सही। वैसे भी कुछ खास किया नहीं आज बताने लायक। शायद आज तक का सबसे औसत दिन। 


बहरहाल जो-जो काम सुरेश भैया देकर गये थे, लगभग पूरे हो गये हैं। लेट उठा और लेट ही गया ऑफिस भी। बाहर वाली टेबल पर बैठकर ही काम किया दिन-भर। फील्ड-अड्डा के सारे अपडेशन पूरे कर दिये हैं और उपस्थिति भी लगभग कर दी है अपडेट। लगभग चार बजे ही आ गया था घर। मक्की का आटा नहीं मिला मुझे पूरे सिवाना में कहीं। रघुनन्दन जी के साथ घूमते-घूमते राजपुरोहित समाज के छात्रावास में जाना हुआ। गजब की व्यवस्थाएँ हैं वहाँ। लौटकर जो बिस्तर पर लेटा, रात के दो बजे खुली नींद और अभी ही लिख रहा हूँ ये। तो बस हो गई आज की डायरी।


मन समझा रहा है खुद को। समझा रहा है कि बहुत असर नहीं पड़े जब लोगों पर आपके होने या न होने का, तब आपको भी वैसा ही हो जाना चाहिए। बस बाकि सब ठीक है। शुभ मध्यरात्रि...


- सुकुमार 

27-12-2022

Comments