सिवाना डायरीज - 136
सिवाना_डायरीज - 136
'कभी-कभी आपके प्रस्ताव पर किसी का 'हाँ' कह देना आपका दुर्भाग्य होता है। असल में वो आपके लिए होता ही नहीं है। वो आपकी सफलता के पहिये को कभी भी आगे की तरफ नहीं धकेल सकता। इसलिए यहाँ यह 'हाँ' आपका दुर्भाग्य है।'
- विकास दिव्यकीर्ति सर कह रहे हैं ये बात। दुनिया में ना, कहने-सुनने की इतनी सारी बाते हैं कि उनमें से ज्यादातर हमें हम पर दागी गई लगेगी। निराशाओं और असफलता के कारणों और उनसे बाहर निकलने की जब भी कोई बात करता है, जानें क्यों मैं खुद को जोड़ लेता हूँ उससे। दौर बुरा चल रहा है - अगर ऐसा कहूँगा तो अपमान ही जायेगा मेरी सारी मुस्कुराहटों का। बस मैं नहीं रम पा रहा इनमें।
बहरहाल, बालोतरा ही हूँ आज भी। दिनेश भैया के घर नींद खुली सुबह। उनका बेटा रुद्राक्ष बहुत प्यारा है सच में। आज तो मुझसे पहले ही नहा लिया उसने। हम भी तैयार होकर पोहे खाकर ऑफिस आ गये लगभग टाईम पर। काम के नाम पर कुछ ज्यादा नहीं हो पाया। मुझे ही कम्पलीट करनी है पूरी एनुअल रिपोर्ट एंड रिव्यू, जो कि बहुत मुश्किल लग रहा है मुझे। लंच के लिए भैया के घर ही गये हम। शाम होते-होते लौट आया हूँ अपने सिवाना यह सोचकर कि कल पूरी करूंगा इसे। गाड़ी की हेड-लाईट बहुत कम प्रकाश दे रही है, तो धीरे-धीरे ही आया मैं बालोतरा से। आकर बिस्तरों में लेटा हूँ बस।
मन भी दौड़ लगाकर वहीं पहुँचता है बार-बार। मगर जब व्यस्त रखूंगा इसे, तो उम्मीद हैं बस में आ जायेगा अपने आप ही। गुड_नाईट...
- सुकुमार
29-12-2022
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