सिवाना डायरीज - 146

 सिवाना_डायरीज  -146


उबलता हुआ खाने-पीने की आदत ने कितनी ही बार जीभ जलाई है मेरी। असल जिंदगी में भी ऐसा ही हूँ। धीरज एक पल का नहीं रखा जाता और मन जला है इसी वजह से कई बार। हर एक उजली चीज पा लेने का मन करता है और मेहनत दो कौड़ी की नहीं हो रही। सपने, सपने और बस सपने। एकांत सारा कबाड़ हो गया है और मैं भी कुड़ा ही। जाने कैसी-कैसी नहीं हो सकने वाली कल्पनाएँ करता रहता हूँ और खा-पीकर सो जाता हूँ आजकल। जैसा शाॅ-केस बना दिया है मैंने जिंदगी का, उसके जैसा गोडाउन करने में ही बची उम्र के निकल जाने का डर है। एक शांत, गंभीरचित्त व्यक्तित्व मेरा क्यूँ नहीं हो सकता। बस यही सोच रहा हूँ आजकल। उतना मौन खुद नहीं रखता, जितना भाषण दे देता हूँ मौन पर। जिंदगी बस निकले जा रही है और मैं इसे बढ़ा-चढ़ाकर बताये जा रहा हूँ।


हवाई-अड्डे, हवाई-जहाज और हवाई-यात्रा का दूसरा अनुभव लिया आज। थोड़ा सजग और जागरूक होकर। प्रेम भैया की फिक्र देखो, मुझे छोड़ने आये ठेठ एयरपोर्ट तक इतनी ठंड में भी। वेणी जी और कृष्णा भैया बहुत गुस्सा थे वहाँ की व्यवस्थाओं पर। दस-दस पर उड़ान भरी ली थी इंडिगो की हमारी फ्लाईट ने। जोधपुर और कैम्पेगोड़ा एयरपोर्ट को देखने-समझने का अवसर दे दिया इस यात्रा ने। बैंगलोर एयरपोर्ट से करीबन दो-ढाई घंटे लगे हमें होटल तक आने में। दि गार्डिनिया काॅम्फाॅर्ट्स अच्छी होटल है इधर। फाउंडेशन की तरफ से सारी व्यवस्थाएँ कल है तो आज जोमेटो से ऑर्डर किया खाना। शाम होते से ही बिस्तरों में हूँ जहाँ मुझे होना नहीं था। रूम-पार्टनर किरण रात के एक बजे के लगभग आये है डबोक एयरपोर्ट से। डूंगरपुर जिले के सीमलवाड़ा ब्लाॅक में पोस्टेड है ये। सिगरेट पीने के अलावा ठीक इंसान लग रहे हैं। मेरी जिंदगी भी कटे जा रही है बस... 


- सुकुमार 

08-01-2023

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