सिवाना डायरीज - 150

 सिवाना_डायरीज  - 150


'वह राह जहाँ हमनें एक भी मुश्किल का सामना नहीं किया, समझ लीजिए कि हम गलत राह पर हैं।'

- स्वामी विवेकानंद जी को बिसरा दिया है मैंने अपनी जिंदगी से जाने क्यों! एक समय था जब ठाकुर जी और ठाकुर जी की ठाकुर जी की तस्वीर के सामने बैठ मैं अपने मन की सारी व्यथाएँ कहता था। वो तस्वीर आज भी खींचती है मुझे अपनी तरफ। उनके कहे के स्टेटस खूब लगाये हैं मैंने, बस किया नहीं कुछ जो स्वामी जी कहते थे। 


पाॅश एक्ट, केआरसी और पीपल फंक्शन पर बात हुई आज के तीनों सेशन्स में। बहुत खूबसूरत नहीं रहा दिन। रूम में आकर एकांत चाहता था। मिला भी, मगर सधा नहीं। मैं अपने आप को आजकल किसी दानव से कम नहीं समझ रहा आजकल, जो खुद का भी नुकसान कर रहा है और अपने से जुड़े लोगों का भी। बस निकाल लिया दिन। कृष्णा भैया को उदास पाया रात को। वो भी जल्दी से मन जोड़ लेते हैं किसी से भी। फिर जब थोड़ा भी डाइल्यूटपन दिखता है, उदास हो जाते हैं। खैर, मैं सो जाता हूँ अभी। शुभ रात्रि...


- सुकुमार 

12-01-2023

Comments