सिवाना डायरीज - 151

 सिवाना_डायरीज  - 151


लोगों ने तरजीह दी या नहीं दी उसके गाये को। मगर वो गाता रहता है अक्सर। उसके साथ रहने वाले जानते हैं कि गाहे-बगाहे वो गुनगुनाता रहता है कुछ-न-कुछ। अपनी उम्र से ज्यादा सपने पाल रखे हैं उसने। उसे अच्छी कविताएँ लिखनी हैं। उसकी कहानियाँ पढ़ते लोगों को उन्हीं के किसी कैरेक्टर में गुम कर देना है। उसे गाने लिखने भी है और गाने भी हैं। कभी-कभार सपना देखता है कि वह गा रहा है मंच से, और लोग नीचे झूम रहे हैं - नाच रहे हैं। जहाँ-जहाँ भी हारता है वह, एक सपना लेकर निकलता है वहाँ से कि एक दिन इतना बड़ा हो जाऊँगा कि यह जीत जीतने वाले को बौनी लगेगी।

आज बैंगलोर की अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में था वो शरीर से तो। मन उसका कहीं और ही अटका था। जुम्मे को व्रत होता है उसके, संतोषी माता का। लंच का कूपन जेब में डाले वो इधर-उधर डोल रहा था कि वह बी-2 सेक्शन की गैलेरी में चला गया। एक कोने में पियानो रखा देख उसके भीतर के उदित नारायण को ऊर्जा मिल गई आज फिर। जाकर सारेगामापाधानिसा वाली सरगम की प्रैक्टिस करने लगा यू-ट्यूब देख-देखकर। लगभग दसेक मिनट तक वह यही कर रहा था कि कोई सुकून की छाया सी पीछे खड़ी महसूस हुई उसे।


'एक दिवाना था' मूवी का 'फूलों जैसी है ये लड़की' वाला सोंग उसके कानों में बजने लगा अचानक से। उसे लगने लगा कि जेस्सी आ गई है उसकी जिंदगी के सचिन के लिए। यूनिवर्सिटी जिसमें पहले दिन से वो वेस्टर्न कपड़े पहने युवक-युवतियों को देख थक चुका था, वहाँ अप्रत्याशित रूप से सूट पर करीने से चुन्नी लगाये ऐसी छाया देखना उसके सपनों जैसा था। एक बारगी अपनी आँखों पर हाथ घुमा उसने कन्फर्म किया कि कहीं वह सपना तो नहीं देख रहा। सलीके से सुलझे बाल, पलकों पर बहुत पतली लाईन एक आई-लाइनर की, होठों के रंग से ही मैच करती लिपस्टिक, गले में काले धागे का एक चाॅकर जिस पर एक गाॅल्ड-लाॅकेट, एक हाथ में केवल एक काला धागा, दूसरे में एक पतली सी चूड़ी और दो अंगुठियाँ और होठों पर सुकून की खुशबू फैलाती मंद सी मुस्कुराहट। हड़बड़ा कर एकदम पीछे हटा और जगह की उस छाया को पियानो तक पहुँचने के लिए। 

"नो-नो, यू आर डुइंग वेल। कीप कंटिन्यू।" - आवाज आई बस उसके कानों में। 

"नो, एक्च्युअली आई डाॅन्ट नाॅ हाउ टू प्ले इट। एम जस्ट फाॅलोइंग एज पर ए यू-ट्यूब क्लास।" - कहते हुए वो थोड़ा और पीछे हटा।

उसकी क्वेश्चन फ्रेमिंग देखकर समझ गई थी वो कि इंग्लिश में इतना कन्विनेंट नहीं है ये बात करने में, तो वो खुद ही हिंदी पर आ गई।

"साॅ, यू आर फ्राम नार्थ-इंडिया। करेक्ट! आपकी टाॅन से ही लग रहा है।" - हिंदी बोलकर ऊर्जा दी उसने उसको।

"जी, राजस्थान से हूँ। इट्स माई फर्स्ट टाईम कि मैंने पियानो को कभी हाथ भी लगाया हो।" - वो थोड़ा डरते-डरते बोला।

"नहीं यार, अच्छा बजा रहे थे आप। रोज लंच में कोशिश करो। और अच्छा करने लगोगे थोड़े दिनों में।" - उसने और अप्रिशियेट किया।

"अच्छा आपको आता है पियानो बजाना?" - उसने पूछ ही लिया।

"हाँ, थोड़ा-थोड़ा।" - बोलते हुए वो पियानो के पास आई। 

"चलिए, अपना फेवरेट सांग बताईये, मैं ट्राई करती हूँ।" - सुनकर एकदम से उसकी बाँछें खिल गई।

"फेवरेट तो क्या, 'क्या हुआ तेरा वादा' बजायें?" - उसने ज्यादा टाईम न लेते हुए कह दिया।

और फिर करीबन अगले पंद्रह मिनट वो दोनों उसी एक पियानो पर रियाज करते रहे। वह उसे 'वाह यार, बड़ा जल्दी कैच किया आपने' कह-कहकर अप्रिशियेट करती रही और एकबारगी तो उसने पूरी दो लाईनेस बजा ली इस सांग की पियानो पर।

अबके जब उसकी जेस्सी ये ही सांग प्ले करने लगी, तो उसने उनकी पियानो पर नाचती फिंगर्स का विडियो लेने की परमिशन ले ली थी। 

एक अच्छा-सा विडियो बना लेने के बाद जब वो रुकी, तो एकदम से बोल पड़ी - " मुझे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे मैं किसी लिखने वाले से बात कर रही हूँ?"

सुनते ही वो सकपका गया। सोचने लगा कि इसे कैसे मालुम!

खैर फिर उसने अपना डिस्क्रिप्टिव इंट्रो दिया। उस जेस्सी ने भी बताया कि वह नागपुर से है और मास्टर्स इन इंग्लिश है। 

फिर उसने बताया कि ये 'क्या हुआ तेरा वादा' उसका भी फेवरेट सांग हैं और  काॅइंसिडेंटली उसे यही बजाना आता है पियानो पर। 

अपनी 'छुअन का असर' की एक प्रति उसे देकर अब उसे अपने सेशन के लिए जाना था। वो दोनों निकल पड़े अब अलग-अलग रास्तों पर, इस वचन के साथ कि वह अप्सरा इसकी कविताओं पर समीक्षा लिखकर मेल करेगी। 

बस उसे उस मेल का इंतजार है...


बहरहाल,  अंतिम दिन था आज भारत कि सिलिकन वैली में। यूनिवर्सिटी में एम्प्लाॅयी बैनिफिट्स और वैल्यूज के सेशन थे। मुझे अपनी कुछ कम होती महसूस हुई, तो मेल करके आ गया मैं। जाने क्यों लोग जैसा कहते हैं, वैसे होते नहीं हैं। खैर कृष्णा भैया भी जाने क्यों भड़क गये आज मुझ पर। दिन सच में खराब मान लिया जाता अगर ऊपर वाला किस्सा न घटा होता। 

गुस्से-गुस्से में पब्लिक ट्रांसपोर्ट से आ गया हूँ लेट नाईट एयरपोर्ट। यहीं लेट गया हूँ एक तरफ। अभी डेढ़ बजे हैं रात के और लगभग साढ़े तीन वापस उठना है। गुड_नाईट...


- सुकुमार 

13-01-2023

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