सिवाना डायरीज - 152
सिवाना_डायरीज - 152
कुछ अहसास जिंदगी-भर संजोये रखने के लिए ही घटने होते हैं। जैसा मेरे साथ कल घटा था। आँख बंद करके जो सोचूँ उसे, तो जिंदगी बहुत सरल और मीठी लगने लग जाती है। उन आँखों के सागर में अपनी सारी कविताएँ घोल लेने का मन करता है। पूरी रात भाग-दौड़ में रहा, मगर उस अहसास ने पाॅजिटिव रखा। बैंगलोर से मुम्बई और फिर मुम्बई से जोधपुर की फ्लाइट्स एयर इंडिया की थी अपनी। संक्रांति है आज। सोच रहा था कुछ बदलेगा जिंदगी में। मगर कुछ खास नहीं।
राजस्थान क्रिकेट टीम बैंगलोर गई थी रणजी खेलने। हारकर लौट रही थी हमारे साथ। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर रवि विश्नोई भी उन्हीं में था। जोधपुर एयरपोर्ट पर फोटो खिंचवाने से पहले तक खूब भाव खाये उसने भी। एकबारगी तो मन फोटो क्लिक करने का भी न हुआ। उतरकर बालोतरा तक रेखाभाई और अकिल जी की कैब में आ गया और फिर बस में।
सफर में ही रहा आज पूरा दिन और कई बार मन इसी में रहना चाहता है। मन करता है कि निकल जाऊँ सब छोड़-छाड़कर एक बार। घर आकर थोड़ी देर बातचीत हुई फूलण वाले जगदीश जी के लड़के से और फिर साफ-सफाई की।
शाम को विनोद के साथ खेतलाजी निकल गया था उसके दोस्तों के साथ जो अभी सुबह चार बजे वापस पहुँचा हूँ। दो रातों की नींद आँखों में घेरा डाले हैं, देखता हूँ कब दरवाजे बंद होते हैं आँखों के। बाकि सब बढ़िया है...
- सुकुमार
14-01-2023
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